scriptअपनी ही बारूदी सुरंग की चपेट में आया माओवादी, जीवन रक्षक बन आए जवान | Maoist In Odisha: Landmine Burst, Maoists Injured, Soldiers Saved life | Patrika News

अपनी ही बारूदी सुरंग की चपेट में आया माओवादी, जीवन रक्षक बन आए जवान

locationभुवनेश्वरPublished: Sep 03, 2019 06:16:00 pm

Submitted by:

Brijesh Singh

Maoist In Odisha: जवानों की जान लेने के लिए माओवादियों ने बारुदी सुरंग बिछाई, अचानक उसके फटने से माओवादी घायल हुआ, तो सुरक्षाबल ने ही जान बचाई।

अपनी ही बारूदी सुरंग की चपेट में आया माओवादी, जीवन रक्षक बन आए जवान

अपनी ही बारूदी सुरंग की चपेट में आया माओवादी, जीवन रक्षक बन आए जवान

( भुवनेश्वर, महेश शर्मा )। कहावत है कि दूसरों के लिए खोदी गई खाई कभी-कभी खुद के लिए भी घातक सिद्ध हो जाती है। ऐसा ही कुछ मलकानगिरी ( Malkangiri ) जिले में हुआ। यहां माओवादियों ने सुरक्षाबलों को निशाने पर लेने के लिए बारूदी सुरंग बिछा रहे थे कि इसी दौरान विस्फोट हो गया, जिसमें एक इनामी माओवादी बुरी तरह जख्मी हो गया। यहां जवानों की मानवता दिखी, जब उन्होंने अपनी जान लेने आए माओवादियों के प्रति भी मानवीय संवेदना दिखाई और बारूदी सुरंग फटने से घायल माओवादी ( Maoist ) की जान बचाकर मानवता की मिसाल कायम की।

10 लाख का इनामी माओवादी है भीमा

घायल माओवादी की पहचान मालकानगिरि जिले की सीमा पर नरका गांव के रहने वाला माओवादी भीमा माड़कामी ( Maoist In Odisha ) के रूप में की गई है। उसको छत्तीसगढ़ ( Maoist In Chhattisgarh ) के सुरक्षा जवानों ने कंधे पर उठा कर तकरीबन चार किलोमीटर दूर एक अस्पताल में भर्ती कराया । इतना ही नहीं, इस काम में जवानों को रास्ते में आने वाले कई नदी-नाला की बाधाओं को भी पार करना पड़ा। काबिलेगौर है कि माओवादी भीमा के सिर पर 10 लाख रुपए का पुरस्कार भी है।

दो राज्यों की सीमा पर है घटनास्थल

घटना ओडिशा छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित नागालुण्डा जंगल की है। यह इलाका छत्तीसगढ़ के सुकुमा व ओडिशा के मालकानगिरि जिले की सीमा के बीच पड़ता है। दोनों राज्यों के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) जवान यहां पर नियमित रूप से कम्बिंग ऑपरेशन ( Combing Opreation ) करते रहते हैं। उन्हें रोकने के लिए माओवादी भी हमेशा जवानों के मार्ग पर बारूदी सुरंग बिछाते रहे हैं। सोमवार/मंगलवार की दरम्यानी रात भी नक्सलियों की ओर से इसी तरह की एक बारूदी सुरंग बिछाई जा रही थी, जिसमें अचानक विस्फोट हो गया।

जवानों ने दिखाई मानवता

विस्फोट की चपेट में आकर भीमा माड़कामी बुरी तरह घायल हो गया। इधर विस्फोट की आवाज से ही सुरक्षाबलों के जवान तो सचेत हो गए, लेकिन भीमा के साथी माओवादी ( Maoist ) पुलिस की डर से उसे जंगल में छोड़कर भाग खड़े हुए। सुरक्षाबल सावधानी के साथ घटनास्थल पर पहुंचे, तो उन्होंने एक माओवादी को घायल अवस्था में बारूदी सुरंग स्थल पर पड़े हुए देखा। उसे देखने के बाद जवानों ने पास के गांव से एक खाट लाकर उस पर भीमा को बैठाया व उसे उठाकर 4 किलोमीटर से अधिक जंगली रास्ता पार कर एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया।

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