scriptकुनबा बढ़ाने प्रशांत महासागर से ओडिशा के तटों पर पहुंचे लाखों विदेशी कछुए | Millions of turtles reach Odisha's shores from the Pacific Ocean | Patrika News

कुनबा बढ़ाने प्रशांत महासागर से ओडिशा के तटों पर पहुंचे लाखों विदेशी कछुए

locationभुवनेश्वरPublished: Nov 15, 2019 10:19:37 pm

Submitted by:

arun Kumar

Olive Ridley Turtle: कुनबा बढ़ाने के लिए लाखों विदेशी कछुए प्रशांत महासागर से ओडिशा के तटों पर पहुंच चुके हैं। कछुओं की विशेष प्रजाति ओलिव रिडले (Olive Ridley Turtle) लाखों की संख्या में प्रशांत महासागर से बंगाल की खाड़ी में ( From the Pacific Ocean to the Bay of Bengal) आते हैं। ये तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश के तटों से होते हुए ओडिशा के समुद्र तट की रेत को प्रजनन करते (Breeding the sand of Odisha beach) हैं।

कुनबा बढ़ाने प्रशांत महासागर से ओडिशा के तटों पर पहुंचे लाखों विदेशी कछुए

कुनबा बढ़ाने प्रशांत महासागर से ओडिशा के तटों पर पहुंचे लाखों विदेशी कछुए

ओलिव रिडले नामक विदेशी मेहमान हजारों किमी की यात्रा कर पहुंचते हैं

भुवनेश्वर

कुनबा बढ़ाने के लिए लाखों विदेशी कछुए प्रशांत महासागर से ओडिशा के तटों पर पहुंच चुके हैं। कछुओं की विशेष प्रजाति ओलिव रिडले लाखों की संख्या में प्रशांत महासागर से बंगाल की खाड़ी में आते हैं। ये तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश के तटों से होते हुए ओडिशा के समुद्र तट की रेत को प्रजनन करते हैं। गंजाम, पुरी और केंद्रपाड़ा के समुद्रतट का माहौल प्रजनन के लिए मुफीद है। ओडिशा सरकार ने इस बार ओलिफ रिडले के संरक्षण के लिए खास तैयारी की है। मत्स्य विभाग, वन और तटीय पुलिस थानों को निर्देशित किया है कि समन्वय बनाए रखते हुए ओलिफ रिडले के संरक्षण नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाए। मुख्य सचिव असित त्रिपाठी ने ओलिव रिडले संरक्षण को गठित उच्चस्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता की। इन कछुओं के प्रजनन के दौरान फिशिंग का काम नहीं होना चाहिए। इसके अलावा इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट आर्गनाइजेशन यानी डीआरडीओ, धामरा पोर्ट, गोपालपुर पोर्ट, पारादीप पोर्ट संस्थानों के अधिकारियों से अनुरोध किया गया है कि ओलिफ रिडले संरक्षण के लिए उनके प्रजनन के दौरान जरूरी नियमों का पालन कराएं। मुख्य सचिव ने ओलिव रिडले ओडिशा को वैश्विक पहचान दिलाते हैं।
छह महीने तक फिशिंग पर रोक

 

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ओडिशा ने छह महीने तक फिशिंग पर रोक लगा दी है। यह रोक एक नवंबर से लेकर 31 मार्च तक है। इस दौरान ये कछुए ओडिशा के तटों पर रहते हैं। सरकार ने तय किया है कि मत्स्य पालन पर निर्भर मछुआरों को सरकार की ओर से साढ़े सात से आठ हजार रुपया प्रतिमाह दिया जाएगा। इन इलाकों से पावर बोट समुद्र में ले जाने पर रोक है। मुख्य वन सरंक्षक संदीप त्रिपाठी ने बताया कि 30 एचपी के ट्रालर्स 20 किलोमीटर तक समुद्र के भीतर नहीं जा सकेंगे। जिन क्षेत्रों में ओलिव रिडले हैं वहां तो बिल्कुल ही नहीं। पेट्रोलिंग तेज कर दी गयी है। इन कछुओं के संरक्षण को एक्शन प्लान 2019-20 का नाम दिया गया है।

क्या है ओलिव रिडले की खूबी

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ओलिव रिडले समुद्री कछुओं की उन पांच प्रजातियों में से एक है, जो प्रजनन के लिए भारतीय तटों का रुख करते हैं। वन्यजीव सुरक्षा एक्ट 1972 के तहत उनकी सुरक्षा की गारंटी दी गयी है। केंद्रपाड़ा के गहिरमथा समुद्र तट ओलिव रिडले से अटापटा है। यही हाल ऋषिकुल्या नदी के मुहाने गंजाम का भी है। लगभग 4 लाख से ज्यादा ओलिव रिडले कछुए हजारों मील दूर प्रशांत महासागर से बंगाल खाड़ी अंडे देने पहुंचे हैं। अंडों से कछुआ निकलने में 45 दिन तक लग जाते हैं। इनकी सुरक्षा के लिए ऋषिकुल्या नदीं के मुहाने पर बीस किलोमीटर के दायरे में मछली पकडऩा मना है। डिवीजनल फॉरेस्ट अफसर राजनगर विमल प्रसन्न आचार्य ने बताया कि फरवरी से अंडे देने का सिलसिला शुरू हो गया है।

6 लाख के ओलिव रिडले कछुए दे सकते हैं अंडे

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विभाग का अनुमान है कि इस बार 6 लाख के आसपास ओलिव रिडले कछुए ओडिशा तटवर्ती क्षेत्र में अंडे दे सकते हैं। वर्ष 2001 के बाद अबकी बार ज्यादा कछुए आए हैं। तब इनके आने का रिकार्ड 7 लाख 41 हजार रहा है। बंगाल की खाड़ी ओडिशा के तट कछुओं के लिए अंडा देने की सबसे मुफीद जगह हैं। ये कछुए गंजाम जिले के ऋषिकुल्या नदी, केंद्रपाडा जिले में गहिरमाथा नदी और पुरी जिले के देवी नदी में प्रजनन को आते हैं। इन कछुओं के संरक्षण और अंडा देने और प्रजनन की प्रक्रिया के दौरान उन्हें नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने इन क्षेत्रों में 20 किमी के दायरे में मछली पकडऩे पर एक नवंबर से 31 मई तक प्रतिबंध लगा दिया है।

सिर्फ 6 स्थानों पर ही पाए जाते हैं ओलिव रिडले

ओलिव रिडले के घरौंदे सिर्फ 6 स्थानों पर ही पाए जाते हैं। इनमें से तीन ओडिशा में हैं। केंद्रपाड़ा का गहिरमथा तथा गंजाम जिले का ऋषिकुल्या नदी को ये सबसे ज्यादा मुफीद पाते हैं। मादा ओलिव रिडले की क्षमता एक बार में करीब 150 अंडे तक देने की होती है। इनके अंडे दो महीनें में फूटते हैं जिनसे छोटे-छोटे कछुए निकलते हैं। फिर नन्हें मुन्ने ओलिव रिडले रेंगते हुए समुद्र में उतर जाते हैं। गंजाम ऋषिकुल्या नदी केपास सटीक गिनती से पता चला है कि करीब दो लाख कछुए इसी तट पर आ चुके हैं। वन विभाग ने इनकी सुरक्षा को एक विंग बनाया है। यह विंग प्रजनन स्थल को 20 किलोमीटर के दायरे तक नो मैन जोन बनाए रखने में सहायक होते हैं।

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