नवरंगपुर ओडिशा का नक्सल प्रभावित पिछड़ा क्षेत्र है। यह कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। बीते चुनाव में कांग्रेस के इस गढ़ में बीजेडी ने सेंधमारी की थी तो अबकी बीजेपी यही मंसूबा पाले बैठी है। कांग्रेस से प्रदीप माझी का लड़ना लगभग तय माना जा रहा है।
1952 में इस सीट पर गणतंत्र परिषद ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस प्रत्याशी 1962 से लगातार जीतता रहा। 1999 में बीजेपी के परशुराम माझी यहां जीते थे। माझी अबकी भी मैदान में आने की जुगत में है पर बलभद्र माझी के आने से उनके समीकरण बिगड़ सकते हैं।
बीजेपी एक-एक सीट पर गणित बैठाकर चल रही है। इस संसदीय क्षेत्र की 93 प्रतिशत जनता गांवों में रहती है। आदिवासी परिवार अधिक होने के कारण यह सीट आदिवासियों के लिए आरक्षित की जा चुकी है। इस संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें हैं। इनके नाम उमरकोट, झारीग्राम, नवंरगपुर, डीबूग्राम, कोटपद, मलकानगिरि, चित्रकोंडा हैं। कोटपद और डीबूग्राम से कांग्रेस प्रत्याशी जीतता रहा है। बाकी पांच पर बीजेडी प्रत्याशी जीता था।
बीजेडी ने बलभद्र माझी को 2014 में यहां से प्रत्याशी बनाकर रोमांचक मुकाबला उत्पन्न कर दिया था। नतीजतन 2000 वोटों से कांग्रेस के प्रदीप माझी को शिकस्त झेलनी पड़ी। पहली बार नोटा में सबसे ज्यादा वोट यहीं पड़े थे। कुल 44,408 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था। सांसद माझी कुल 321 बैठकों में से 260 दिन सदन में रहे। जन सामान्य से जुड़े 197 सवाल पूछे। लोकसभा की 75 डिबेट्स में भाग लिया था। साढ़े 17 करोड़ के विकास कार्य निधि से कराये थे।