जू के उपनिदेशक जयंती दास ने जानकारी दी कि 5 वर्षीय शुभ्रांशु संक्रमण ब्लड प्रोटोजोन रोग से पीडि़त था। रविवार को उसकी हालत अचानक नाजुक हो गई। उसने खाना-पीना सब छोड़ दिया था। उसे ओडीशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों की निगरानी में रखा गया था। पशु चिकित्सकों की टीम भी उसकी देखभाल में लगी थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असलियत का पता चलेगा।
गौरतलब है कि एक माह में नंदनकानन में 4 हाथी व एक बाघ की बीमारी से मौत हो गई है। सफेद नर बाघ मनीष और मादा स्नेहा ने 28 जुलाई 2014 को इसी चिडिय़ाघर में शुभ्रांशु को जन्म दिया था। इस महीने नंदनकानन जू हाथियों और बाघ की मौतों के कारण सुर्खियों में रहा है। इसी महीने चार हाथियों की मौत हरपीज वायरस से हो गई थी। यह वायरस जंगल के हाथियों को भी शिकार बनाने लगा था। जू के बाहर दो हाथियों की भी इसी महीने जंगल में मौत हो गई। इन पशुओं के इलाज के लिए केरल और असम से भी विशेषज्ञों की मदद ली गई थी।
जैविक क्रम सिद्धान्त की पालना में हर जीव का महत्व है, ऐसे में नंदनकानन वन में वन्यजीवों की इस तरह मौत होना चिंता का विषय है। समय रहते जीवों में इस तरह के रोगों का होना वन्यजीवों व पशुप्रेमियों के लिए भी शुभ संकेत नहीं है। प्राणी विशेषज्ञों व पशुचिकित्सकों का तुरन्त इस दिशा में प्रयास करना होगा व समय रहते ही पशुओं में होने वाली विभिन्न बीमारियों के उपचार के प्रति सजग रहना होगा, वरना धीरे-धीरे कई वन्यजीव की नस्ल लुप्त होने की और बढ़ती ही जाएगी।
नंदनकानन वन की खासियत
-यह सफेद पीठ वाले गिद्ध के संरक्षित प्रजनन के लिए चयनित छह प्रमुख चिडिय़ाघरों में से एक है।
-सफेद बाघ और मेलेनिस्टिक टाइगर की ब्रीडिंग वाला दुनिया का पहला चिडिय़ाघर।
-दुनिया में भारतीय पांगोलिन का एकमात्र संरक्षित प्रजनन केंद्र।
-वर्ष 1980 में विश्व में पहली बार नंदानकानन जूलॉजिकल पार्क में घडिय़ालों का संरक्षित प्रजनन कराया गया।
-यह भारत का पहला चिडिय़ाघर है, जहां लुप्तप्राय रटेल का संरक्षित प्रजनन हुआ।