scriptइरावदी डॉल्फिन को लुभा गई चिलिका, बढ़ रही आबादी | Numbers of Irrawaddy dolphin increasing in Chilika lake Odisha | Patrika News

इरावदी डॉल्फिन को लुभा गई चिलिका, बढ़ रही आबादी

locationभुवनेश्वरPublished: Jan 20, 2020 06:33:19 pm

Submitted by:

Nitin Bhal

Irrawaddy Dolphin : पर्यटकों के लिए गुड न्यूज है। दुनिया दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील ओडिशा की चिलिका झील में इरावदी डॉल्फिन की आबादी बढक़र 146 हो गई है। हाल ही समाप्त हुई चिलिका झील में पक्षियों और मछलियों की गणना में इस डॉल्फिन…

इरावदी डॉल्फिन को लुभा गई चिलिका, बढ़ रही आबादी

इरावदी डॉल्फिन को लुभा गई चिलिका, बढ़ रही आबादी

भुवनेश्वर (महेश शर्मा). पर्यटकों के लिए गुड न्यूज है। दुनिया दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील ओडिशा की चिलिका झील में इरावदी डॉल्फिन ( Irrawaddy dolphin in chilika lake ) की आबादी बढक़र 146 हो गई है। हाल ही समाप्त हुई चिलिका झील ( chilika lake ) में पक्षियों और मछलियों की गणना में इस डॉल्फिन की संख्या बढऩे से विभाग और पर्यटक उत्साहित हैं। डॉल्फिन गणना के काम के लिए चिलिका में 18 टीमें लगाई गई थी। जीपीएस ट्रैकिंग बाइनॉकुलर का प्रयोग किया गया। रविवार को समाप्त हुई गणना में मोटर बोट और पर्यटकों की नावों का चिलिका प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। बीते साल यानी 2019 में 113 डॉल्फिन चिलिका में देखी गई थीं। वर्ष 2018 में यह संख्या 162 थी। चिलिका विकास प्राधिकरण के चीफ एक्जीक्युटिव सुशांत नंदा ने कहा कि अनुकूल परिस्थितियों में डॉलफिन की संख्या आने वाले समय में बढ़ेगी। सात बजे सुबह से शुरू हुई गणना दोपहर एक बजे तक चलती रही। उनका कहना है कि बढ़त होना खुशी की बात है। सही और बढ़ा हुआ आंकड़ा जल्द ही प्रकाश में आएगा। सुशांत ने उम्मीद जताई कि 146 से संख्या बढ़ेगी।

झींगा पालन के जाल से नाराज हैं डॉल्फिन

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चिलिका झील 27 फरवरी 2018 को विश्वस्तर पर इरावदी डॉल्फिन का सबसे बड़ा आवास स्थल बन गया है। तब यहां पर 155 इरावदी डॉल्फिन पाई गई थीं। हाल ही में चिलिका झील के रंभा सेक्टर (चिलिका का अंतिम छोर) में लगभग तीन दशकों बाद चार इरावदी डॉल्फिन को देखा गया है। दरअसल यहाँ झींगा पालन के लिए जाल लगे होने के कारण इनका आहार कम होता जा रहा था, जिसके कारण इनका यहां आना कम हो गया था।

इरावदी डॉल्फिन पर एक नजर

इरावदी डॉल्फिन को लुभा गई चिलिका, बढ़ रही आबादी

 

इरावदी डॉल्फिन एक सुंदर स्तनपायी जलीय जीव है। इस मछली के आंख नहीं होती है। यह अति संकटापन्न जीव है। इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं, इरावदी डॉल्फिन एवं स्नब फिन डॉल्फिन। इस प्रजाति का नाम म्यांमार की इरावदी नदी के नाम पर रखा गया है। इरावदी नदी में ये बड़ी संख्या में पाई जाती हैं। यह इनका प्राकृतिक वासस्थल है। दुनिया भर में इनकी संख्या 7500 से कम है। सबसे अधिक 6400 इरावदी डॉल्फिन बांग्लादेश में हैं। पर्यटन एवं रोजगार की दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के कारण कम्बोडिया में इसे एक पवित्र जीव माना जाता है। डॉल्फिन सभी समुद्रों में पाई जाती हैं। भूमध्यसागर में इनकी संख्या सर्वाधिक है। पूरे विश्व में इनकी चालीस प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से मीठे पानी की डॉल्फिनों की चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं। मीठे पानी की डॉल्फिन को (वर्ष 2009 में) भारत का ‘राष्ट्रीय जलीय जीव’ घोषित किया गया है। उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में स्थानीय भाषा में इन्हें ‘सूसु’ या ‘सूस’ कहा जाता है।

 

11 हजार वर्ग किमी में फैली है झील

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करीब 11 हजार वर्ग किलोमीटर में फैली चिलिका झील पुरी जिले में है। झील में कई सारे छोटे-छोटे आकर्षक द्वीप है। सर्दियों में यहां कैस्पियन सागर, ईरान, रूस और साइबेरिया से आए प्रवासी पक्षियों को देखना आसान होता है। इस झील में कई प्रकार के जलीय वनस्पतियां और जीव-जंतु मौजूद हैं। चिलिका झील में 160 से भी ज्यादा प्रकार की मछलियों मौजूद हैं। बोटिंग के साथ-साथ यहां फिशिंग करने की सुविधा भी है। इनके अलावा सी इगल, ग्रेलैग गीज़, पर्पल मोरहेन, फ्लेमिंगो जकाना की भी प्रजातियां देखी जा सकती हैं। चिल्का लेक सेंचुरी फ्लेमिंगों की ब्रीडिंग के लिए भी अनुकूल जगह है। पक्षियों के साथ-साथ यहां जंगली जानवर जैसे ब्लैकबग, गोल्डेन जैकाल, स्पॉटेड हिरन और हायना भी मौजूद हैं।

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