बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि विभिन्न आदिवासी समुदायों से एमएलए, एमपी समेत पांच हजार प्रतिनिधियों के आने की संभावना है। राज्य सरकार पर निशान साधते हुए सम्मेलन में नवीन पटनायक को आदिवासी विरोधी घोषित करने का तानाबाना तैयार किया गया है।
पार्टी का पूरा जोर राज्य के आदिवासी मतदाताओं पर होगा। आदिवासी लोकसभा क्षेत्र मयूरभंज व बलंगीर में जनसभाएं व पुरी में तीन दिवसीय आदिवासी सम्मेलन में मोदी के आने का कार्यक्रम बनाया गया था पर बाद में बदल दिया गया। इस सम्मेलन में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी होंगे। राज्य में करीब 90 लाख के अल्ले-पल्ले आदिवासी मतदाता बताए जाते हैं।
ओडिशा में पांच लोकसभा सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। पर बीजेपी की मानें तो आरक्षित सीटों के अलावा सात सीटें और आदिवासी बहुल हैं। ये सीटें हैं बलंगीर, बरगढ़, कालाहांडी, संबलपुर, ब्रह्मपुर, आस्का, कंधमाल, सुंदरगढ़, मयूरभंज, केंदुझर, कोरापुट, नवरंगपुर। यदि आदिवासियों का एक मुश्त वोट किसी भी दल के प्रत्याशी को मिल जाय तो समीकरण बना और बिगाड़ सकता है। इसके अलावा ओडिशा की 42 विधानसभा सीटों पर आदिवासी वोटर प्रभावी है। बीजेपी देश के आदिवासी बहुल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों पर जोर देगी। बीते चुनाव में 49 में 33 सीटें बीजेपी पास बताई जाती हैं।