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ओडिशा: कालिया व मिशन शक्ति के कारण 1.39 लाख करोड़ का बजट होगा पेश, विधानसभा सत्र 25 से

Odisha Budget 2019:चुनाव से पहले फरवरी में लेखानुदान पारित किया जा चुका है। कालिया योजना का विस्तार, मिशन शक्ति जैसी योजनाओं का बजट पर अधिभार रहेगा…

भुवनेश्वरJun 21, 2019 / 10:29 pm

Prateek

ओडिशा: कालिया व मिशन शक्ति के कारण 1.39 लाख करोड़ का बजट होगा पेश, विधानसभा सत्र 25 से

(भुवनेश्वर): सोलहवीं ओडिशा विधानसभा का सत्र 25 जून से शुरू होगा और राज्य सरकार वित्त वर्ष 2019-20 के लिये अपना वार्षिक बजट 28 जून को पेश करेगी। अबकी ओडिशा सरकार का बजट 1.39 लाख करोड़ रुपये का होगा। बजट के इस एमाउंटका निर्णय कल रात तक चली मंत्रिपरिषद की बैठक में लिया गया। पिछले वित्तीय साल के मुकाबले 19 हजार करोड़ रुपया ज्यादा का बजट होगा। राज्य सरकार पर अनुमानतः 1.03 लाख करोड़ का कर्ज है। इसी सात फरवरी को 56,921 करोड़ का लेखानुदान पास किया गया था। इसके बाद ओडिशा विधानसभा के चुनाव हो गए थे।

 

चुनाव से पहले फरवरी में लेखानुदान पारित किया जा चुका है। कालिया योजना का विस्तार, मिशन शक्ति जैसी योजनाओं का बजट पर अधिभार रहेगा। बजट सत्र सचिवालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार सत्र दो चरणों में 30 कामकाजी दिनों तक चलेगा। वित्त मंत्री निरंजन पुजारी 28 जून को राज्य का बजट पेश करेंगे।


साल 2019-20 के लिये विनियोग विधेयक 31 जुलाई को विधानसभा में पेश किया जायेगा। विज्ञप्ति में कहा गया कि सदन में सत्र की शुरुआत राज्यपाल गणेश लाल के संबोधन से होगी। विधानसभा के उपाध्यक्ष के पद का चुनाव 27 जून को होगा। विधानसभा का पहला सत्र 25 जून से दो जुलाई तक चलेगा और दूसरा चरण 12 जुलाई से आठ अगस्त तक चलेगा। भाजपा 16वीं विधानसभा में पहली बार सदन में मुख्य विपक्षी पार्टी की भूमिका निभायेगी।


ओडिशा विधानसभा का बजट सत्र 25 जून से 8 अगस्त तक चलेगा। यह दो चरणों में संपन्न होगा। सत्र का पहला चरण 27 जून से दो जुलाई तक और दूसरा चरण 12 जुलाई से आठ अगस्त तक चलेगा। इस सत्र के पहले दिन राज्यपाल प्रोफेसर गणेशी लाल का अभिभाषण होगा। इसके बाद राज्यपाल के भाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस होगी। 27 जून को विधानसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव होगा।

 

बजट सत्र के लिए जारी अधिसूचना के मुताबिक वित्तमंत्री निरंजन पुजारी 28 जून को 2019-20 के लिए बजट प्रस्तुत करेंगे। जिस पर एक व दो जुलाई को चर्चा होगी। जानकारी के अनुसार चालू वित्तीय साल के लिए सरकार को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए 85 से 90 हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता पड़ेगी। इन योजनाओं की घोषणा चुनाव से पहले की गई थी। जिन्हें बीजू जनता दल के लिए गेम चेंजर के रूप में माना जा रहा है। इनमें कालिया, बीजू स्वास्थ कल्याण योजना, आम गांव आम विकास (मेरा गांव मेरा वकास) और सेल्फ हेल्प ग्रुप योजना प्रमुख है।

 

बताया जाता है कि इन योजनाओं को पूरा करने के लिए सरकार के सामने 53 हजार करोड़ रुपये जुटाना चुनौती भरा साबित होगा। इसके अलावा 35 हजार करोड़ रुपया केंद्रीय योजना जैसे नेशनल रूलर हेल्थ मिशन, नेशनल अरबन हेल्थ मिशन, आयुष्मान भारत योजना, सर्व शिक्षा अभियान व राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान आदि के लिए जरूरत होगी। गत बजट सत्र 2018-19 में राज्य व केंद्रीय योजनाओं के मद में 62 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। जिसमें 34,770 करोड़ रुपये राज्य तथा 27,230 करोड़ रुपये केंद्रीय योजनाओं के मद में व्यवस्था की गई थी। सूत्र बताते हैं कि इन योजनाओं में करीब 42 फीसद धन ही आवंटित किया गया था। स्वास्थ, ग्राम्य विकास, कृषि, आवास एवं नगर विकास जैसे विभागों के लिए बड़ा बजट चाहिए।

 

कृषि विभाग के लिए 25 फीसद बढ़ाकर बजट का प्रावधान करना होगा। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम आम गांव आम विकास जैसी योजनाओं के लिए पिछले बजट में 1,250 करोड़ रुपये की जरूरत थी। इस बार 1.900 करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने का अनुमान है। पैसा जुटाने के लिए सरकार को केंद्रीय अनुदान, केंद्रीय कर, बाजार का भी सहारा लेना पड़ सकता है। राज्य सरकार को कुल 11,690 करोड़ का ऋण भी चुकाना है। शायद यही वजह है कि नवीन सरकार को केंद्र की आयुष्मान भारत योजना को अपनाना पड़ रहा है। जबकि चुनाव से पहले इसका विरोध किया जा रहा था। इसके बदले बीजू स्वास्थ कल्याण योजना लांच की गई थी।

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