नेता द्वय का आरोप है कि मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली सरकार के शासनकाल में ओडिशा पिछड़ता ही गया। सर्वाधिक गरीब ओडिशा के विकास के लिए पटनायक हर रोज केंद्र से अनुदान की भीख मांगा करते हैं। लाखों लोग ओडिशा से पलायन सिर्फ इसलिए कर रहे हैं कि बाहर कोई रोजगार तलाश लेंगे। राज्य से श्रमशक्ति का पलायन अच्छे लक्षण नहीं हैं। किसी भी राज्य को पलायन विकास के निचले पायदान पर पहुंचा देता है।
खरबेला स्वैं ने बताया कि नवीन सरकार उद्योग, कृषि व स्वास्थ आदि विकास के क्षेत्र में पूरी तरह विफल है। दोनों ने बीजेडी विरोधी विचारधारा वालों का आह्वान किया है कि वह उनसे हाथ मिले और ओडिशा डेमोक्रेटिक फ्रंट को मजबूती दें। इस बीच पूर्व मंत्री दामोदर राउत ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि उनकी नई पार्टी जनता क्रांति को मान्यता दें। उनका कहना है कि सारी कागजी खानापूरी की जा चुकी हैं। राउत का दावा है कि बीजेडी सरकार के भ्रष्टाचार से त्रस्त लोग परिवर्तन चाहते हैं जो कि उनकी पार्टी व समानविचारधारा वाले लोग मिलजुलकर विकल्प दे सकते हैं। भ्रष्टाचार पर सवार नवीन सरकार के दिन अब लद चुके हैं। मतदाता भी नवीन सरकार से ऊब चुके हैं।
ओडिशा के लोग अब दामोदर राउत, बैजयंत पंडा, दिलीप राय, विजय महापात्र सरीखे दिग्गज नेताओं के रुख का इंतजार कर रहे हैं। ये तो तय है कि ये सब बीजेडी सरकार विरोधी हैं। पर देखना तो यह है कि यह सभी क्या नवीन पटनायक के पांचवें टर्म को रोक सकेंगे?