सीएम-मंत्रियों को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं
मुख्यमंत्री नवनी पटनायक के कार्यालय से एक आदेश जारी हुआ। इस आदेश में कहा गया है कि अब से राज्य के मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया जाएगा। नवीन पटनायक के इस फैसले को सरकारी तंत्र में सादगी को बढ़ावा देने वाला बड़ा कदम बताया जा रहा है।
क्या होता है गार्ड ऑफ ऑनर? ( Guard Of Honor Meaning In HIndi )
किसी भी राजकीय समारोह में पुलिस या सेना के जवानों की ओर से सीएम-मंत्रियों और संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को सलामी दी जाती है। इस परंपरा को गार्ड ऑफ ऑनर कहा जाता है। अक्सर हमने देखा भी होगा कि स्वतंत्रता दिवस पर परेड करते हुए पुलिस या सेना के जवान कार्यक्रम में मौजूद सीएम या मंत्री को सलामी देते है। वहीं राष्ट्र के विशिष्ठ अतिथियों को भी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है।
आजादी के बाद से चली आ रही है परंपरा
गार्ड ऑफ ऑनर की परंपरा आजादी के बाद से ही चली आ रही है। ब्रिटिश आर्मी के समय परेड के दौरान सैन्य अधिकारियों या ब्रिटिश प्रशासनिक अधिकारियों को गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा थी। भारत की आजादी के बाद सेना और सुरक्षाबलों ने जन प्रतिनिधियों को सम्मान देने के लिए इस परंपरा को अपना लिया।
इन्हें अभी भी दिया जाएगा गार्ड ऑफ ऑनर
ओडिशा सरकार की ओर से पूरी तरह से गार्ड ऑफ ऑनर पर रोक नहीं लगाई गई है। राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सुप्रीमकोर्ट व हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस, जज, राज्यपाल, लोकायुक्त जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को यह सम्मान अनिवार्य रूप से दिया जाएगा।
हटाई थी लाल बत्ती
मालूम हो कि पटनायक ने इससे पहले भी सादगी का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए गाड़ियों से लाल बत्ती हटवा दी थी। ओड़िशा सरकार व आम लोगों की गाड़ियों में फर्क नहीं दिखता।