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ओडिशा में लोकायुक्त नियुक्ति की चयन समिति का रास्ता साफ

locationभुवनेश्वरPublished: Oct 07, 2018 09:20:27 pm

Submitted by:

Prateek

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता चयन समिति गठित की गयी थी, यह समिति पांचवें सदस्य का नाम राज्यपाल को एप्रूवल के लिए भेजेगी। इसके बाद लोकायुक्त की नियुक्ति का रास्ता साफ होता है…

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(पत्रिका ब्यूरो,भुवनेश्वर): लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए ओडिशा सरकार ने एक मजबूत कदम आगे बढ़ाया है। पैनल में पांचवें सदस्य के नाम की सिफारिश राज्यपाल को की गई है। इस पर मुहर लगते ही लोकायुक्त की नियुक्ति का रास्ता साफ हो जाएगा। इसके लिए मुख्य न्यायाधीश ओडिशा हाईकोर्ट जस्टिस आरएस झांवरी, मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, विधानसभा अध्यक्ष प्रदीप अमात और नेता प्रतिपक्ष नरसिंह मिश्र ने लोकायुक्त नियुक्ति पैनल के लिए पांचवें सदस्य का नाम प्रस्तावित कर दिया है। यह सदस्य लीगल एक्सपर्ट के रूप में होगा।

 

सुप्रीमकोर्ट ने दस जुलाई को ओडिशा सरकार को निर्देशित किया था कि लोकायुक्त नियुक्ति के लिए तीन महीने के भीतर औपचारिकताएं पूरी कर ली जाए। यही नहीं सुप्रीमकोर्ट ने मुख्य सचिव से भी इस बाबत स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। नौ जुलाई को राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी करके लोकायुक्त नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी गठन करने की बात कही थी। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अध्यक्षता चयन समिति गठित की गयी थी, यह समिति पांचवें सदस्य का नाम राज्यपाल को एप्रूवल के लिए भेजेगी। इसके बाद लोकायुक्त की नियुक्ति का रास्ता साफ होता है।


चयन समिति एक और पांच सदस्यीय सर्च समिति गठित करेगी, जो लोकायुक्त के लिए योग्य नामों का पैनल मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली समिति को भेजेगी। ओडिशा देश का पहला राज्य है, जिसने लोकायुक्त नियुक्ति कानून फरवरी 2014 में बनाया, पर नियुक्ति में विलंब के चलते सरकार की आलोचना विपक्ष सदन के भीतर और बाहर करता रहा।


लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए कानून बनाने वाला ओडिशा पहला राज्य जरूर बना, पर क्रियान्वयन में विलंब के कारण उसकी किरकिरी होती रही। इसी साल 27 मार्च को लोकायुक्त नियुक्ति के मुद्दे पर विपक्ष ने विधानसभा नहीं चलने दी। कांग्रेस के विधायक सदन कूप में धरना देकर बैठ गए। नेतृत्व नेता विपक्ष नरसिंह मिश्र कर रहे थे। ताराप्रसाद बाहिनीपति विरोध करते-करते विधानसभा अध्यक्ष के पोडियम तक जा पहुंचे। भाजपा विधायक भी इस तनातनी में थे। पर उनका विरोध कांग्रेसियों से अलग था। तीन बार सदन स्थगित करना पड़ा।

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