भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि श्रीमंदिर प्रशासन और प्रबंध समिति स्थगित किए जाने पर भी विचार कर सकती है। इस पर शीघ्र ही निर्णय लिया जा सकता है। नौ दिनों तक चलने वाली रथयात्रा महापर्व की तैयारियां अक्षय तृतीया यानी 23 अप्रैल से शुरू होनी है। चंदन पूर्णिमा को जगन्नाथ भगवान का नौका विहार आयोजित किया जाएगा। इस सब पर कोरोना वायरस का ग्रहण लग सकता है। श्रद्धालुओं का कहना है कि महाप्रभु जगन्नाथ भगवान ने ओडिशा को हर विपत्ति से सदैव ही बचाया है। ऐसे में कोरोना वायरस उनके रथ का पहिया नहीं रोक सकेगा।
श्रीजगन्नाथ भगवान पर लोगों की आस्था के कारण उन्हें धरती के जीवंत भगवान के रूप में पूजा जाता है। इंसानों की तरह ही उनकी सारी रीतिनीति संपादित की जाती है। श्रीमंदिर समिति के सदस्यों का दावा है कि मदिर में रोजना 50 हजार से ज्यादा लोग आते हैं। खास त्योहारों पर तो यह संख्या एक लाख तक पहुंच जाती है। श्रीमंदिर प्रबंधन समिति वरिष्ठ सदस्य रामचंद्र दास मोहापात्रा का कहना है कि महाप्रभु पर आस्था लोगों को बरबस पुरी तरफ लोगों को खींच लाती है। दो अप्रैल श्रीराम नवमी, रामकथा अनुकला, 26 अप्रैल को अक्षय तृतीया जब 21 दिन तक रथ का निर्माण होता है, चंदनयात्रा शुरू होती है। फिर 5 जून को स्नान पूर्णिमा, और 23 जून से रथयात्रा। एक जुलाई को रथयात्रा गुंडिचा मंदिर से पुनः श्रीमंदिर आती है। यह भी बताया गया है कि रथ के लिए लकड़ी लायी जा चुकी है। लॉकडाउन के बाद भी लकड़ी का पूजन किया जा चुका है। श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन के पीआरओ लक्ष्मीधर पूजापंडा का कहना है कि तैयारी है बाकी सबकुछ हालात पर निर्भर है।
सूत्रों का कहना है कि रथयात्रा स्थगित करना या आयोजित की जाएगी, यह फैसला श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन, प्रबंध समिति और छत्तीस नियोग की बैठक में लिया जाना है। यह बैठक शीघ्र ही होगी। पुरीधाम भी लॉक डाउन की कैटेगरी में है। श्रीमंदिर में महाप्रभु के दर्शन पर रोक लगी है। कपाट बंद हैं। पर महाप्रभु रीतिनीति जारी है। जो सेवायत कर रहे हैं। जहां कभी लाखों रुपया हुंडी में रोज आते थे। अब चार पांच सौ से लेकर डेढ़ हजार रुपया तक ही आता है। श्री्जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (रीतिनीति) जितेंद्र कुमार साहू का कहना है कि इस बाबत शीघ्र ही निर्णय लिया जा सकता है। रथयात्रा आयोजन पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।