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3500 युवा जगा रहे हैं देहदान-अंगदान की अलख, देहदानियों को दधीचि सम्मान से नवाजा

locationभुवनेश्वरPublished: Sep 30, 2018 03:12:27 pm

Submitted by:

Prateek

सांस रुकने के बाद देहदान करने वालों को उनका यह कार्य दुनिया की नजरों में उन्हें महान बनाता है…

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(पत्रिका ब्यूरो,भुवनेश्वर): ओडिशा के जयदेव भवन में दधीचि सम्मान कार्यक्रम में भारी संख्या में देहदानियों को दधीचि सम्मान से नवाजा गया। क्या कभी आपने सोचा है कि नश्वर शरीर भी आपको अजर और अमर कर सकता है। जीवन भर त्योहारों और अनुष्ठानों पर किए जाने वाले दानों में सबसे महादान होता है देहदान व अंगदान। सांस रुकने के बाद देहदान करने वालों को उनका यह कार्य दुनिया की नजरों में उन्हें महान बनाता है।


तीन सत्रों में चले कार्यक्रम के पहले सत्र में मुख्य अतिथि रहे पद्मविभूषण राज्य सभा सदस्य रघुनाथ महापात्र। जाजपुर सांसद रीता तरई विशिष्ट अतिथि थी। इस सत्र की अध्यक्षता लोकसेवक मंडल के महासचिव निरंजन रथ ने की। इसमें दधीचि सम्मान से देहदानियों को नवाजा गया।


दूसरे सत्र के मुख्य अतिथि जस्टिस बीके नायक अध्यक्ष ओडिशा विधि आयोग ने कहा कि वह स्वयं देहदानियों से प्रेरित हैं। उन्होंने भी देहदान का संकल्प लिया। ओडिया फिल्म स्टार सांसद अनुभव महंति ने देहदान के महत्व पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि भुवनेश्वर कटक पुलिस कमिश्नर सत्यजीत महंति ने भी विचार व्यक्त किए। इस सत्र की अध्यक्षता बामापद त्रिपाठी ने की।


तृतीय सत्र में बीजू जनता दल के मुख्य सचेतक अमर प्रसाद सत्पथी मुख्य अतिथि के आसन पर थे। उन्होंने मरणोपरांत भी आपका पार्थिव शरीर किसी का जीवन बचा सकता है। मधुसूदन पाढ़ी आईएएस प्रमुख सचिव ने भी विचार व्यक्त किए। इस सत्र की अध्यक्षता प्रो.पीके महापात्र ने की।


राज्य में देहदान व अंगदान को प्रेरित करने की अलख जगा रहे दधीचि सम्मान कार्यक्रम के संयोजक लोक सेवक मंडल के आजीवन कर्मी एवं बॉडी एवं आर्गन डोनेशन इनिसिएटिव के अध्यक्ष डा.प्रवास आचार्य। उन्होंने 1350 लोगों से देहदान के लिए शपथ पत्र भरवाए और राज्यभर में इसके लिए प्रेरित करने के लिए 3500 कार्यकर्ताओं को लामबंद किया।


डा.आचार्य बताते हैं कि देहदान किए गए शरीर का मेडिकल के छात्र परीक्षण करते हैं। शरीर के आंतरिक भागों के कार्य सहित हर अंग में होने वाले मर्ज का पता लगाने के साथ ही उसका इलाज तलाशा जाता है। चिकित्सा विज्ञान में शरीर सरंचना विभाग यानी चिकित्सा छात्रों की बेसिक पढ़ाई के लिए कैडबर की कमी मृत शरीर ही पूरा करता है। आपरेशन की नई विधि का प्रयोग भी किया जा सकता है।

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