विनोद कुमार ने शुक्रवार को भुवनेश्वर स्थित स्पेशल विजिलेंस कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। कोर्ट ने उनके खिलाफ फैसला देते हुए कहा कि विनोद कुमार सहित पांच अन्य पर आरोप सही पाया गया। हालांकि उन्हें हाईकोर्ट से 10 जुलाई को स्टे मिल गया था। उनकी गिरफ्तारी के लिए विजिलेंस ने भुवनेश्वर के नयापल्ली वीआईपी कालोनी में छापा भी मारा था। उन पर समुद्री तूफान पीड़ितों को राहत एवं पुनर्वासन के लिए निजी ठेकेदारों और एनजीओ को पैसा देने का आरोप है। इसमें मानकों की खुली अवहेलना किए जाने की बात सामने आई है।
सजा का आदेश स्पेशल जज (विजिलेंस) ने विनोद कुमार, पूर्णचंद्र दास (पूर्व कार्यकारी निदेशक), संजय महंति (पूर्व सहायक प्रबंधक), प्रदीप कुमार राउत (पूर्व लेखाकार), चितरंजन मलिक (लेखाकार), आशीष नायक सचिव ग्राम्य विकास मंच (एनजीओ) के लिए किया गया। ये सभी प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और आईपीसी की धाराओं में दोषी पाए गए। कोर्ट ने कहा कि सरकारी धन की हेराफेरी के आपराधिक षड़यंत्र में ये सब लिप्त पाए गए।
इस आर्थिक घोटाले को 2007 में राज्य विजिलेंस ने संज्ञान में लिया था। इस केस की शुरुआती छानबीन विजिलेंस इंसपेक्टर एसके दास ने की थी। आइएएस अफसर विनोद कुमार को भुवनेश्वर झारपड़ा स्पेशल जेल में रखा गया है। आरोपियों पर 25-25 हजार रुपया जुर्माना भी लगाया गया। इसके अदा न करने पर दो-दो माह तक और जेल में रहेंगे।