ओडिशा में स्थित पुरी भारत का वह आध्यात्मिक संसदीय क्षेत्र है, जहां दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है। महाप्रभु जगन्नाथ की इस रसोई में एक साथ 50 हजार से ज्यादा लोगों के लिए महाप्रसाद बनता है। एक एकड़ में फैली 32 कमरों वाली इस विशाल रसोई में महाप्रसाद तैयार करने के लिए 752 चूल्हे जलते हैं। इस रसोई में लगभग 500 रसोइए और 300 सहयोगी काम करते हैं। पुरी में निकलने वाली रथयात्रा दुनिया भर के हिन्दुओं के लिए आस्था और आकर्षण का केन्द्र है। अगर इस सीट के राजनीतिक मिजाज की बात करें, तो यहां पर नवीन पटनायक और उनकी पार्टी बीजेडी का दबदबा रहा है। हालांकि 2019 में ओडिशा में बीजेपी की सक्रियता से यहां से नए रूझान मिल रहे हैं। मोदी के लड़ने से चर्चा शुरू हुई, तो संबित पात्रा पर ठहर गई।
कैसा राजनीतिक मिजाज
भगवान जगन्नाथ की नगरी पुरी में पहली बार चुनाव 1952 में हुए। बीजेडी सांसद पिनाकी मिश्रा पहली बार 1996 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। 1998 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर बीजू जनता दल के ब्रज किशोर त्रिपाठी जीते। ब्रज किशोर त्रिपाठी बीजू जनता दल के टिकट पर 2004 तक लगातार चुनाव जीतते रहे। 2009 में भी इस सीट पर बीजू जनता दल ही चुनाव जीती, लेकिन 2014 में पार्टी ने टिकट कांग्रेस में रहे पिनाकी मिश्रा को दिया था। मोदी लहर के बाद भी 2014 में बीजेडी ने वर्चस्व कायम रखा। बीजेपी ने इस लोस सीट पर जीत का स्वाद कभी नहीं चखा। पुरी लोकसभा क्षेत्र में सात विधानसभा सीटें पुरी, पिपली, नयागढ़, ब्रह्मगिरी, चिल्का, सत्याबदी और रानपुर आती हैं, जिन पर भी चुनाव हो रहे हैं। इसमें चिलिका पर बीजेपी और सत्यवादी पर कांग्रेस जीती थी। बाकी पर बीजेडी। 2014 में 74 प्रतिशत मतदान हुआ था। पिनाकी मिश्रा की सदन में उपस्थिति 84 फीसदी रही। वह सदन की कुल चली 321 दिन की कार्यवाही में 269 दिन मौजूद रहे। सदन में उन्होंने 326 सवाल पूछे। पिनाकी मिश्रा ने 11 डिबेट्स में हिस्सा लिया। पिनाकी मिश्रा को साढ़े 22 करोड़ रुपए जारी किए गए। इस रकम में से उन्होंने 17.72 करोड़ रुपए विकास के कार्यों पर खर्च किए।