दरअसल हुआ यूं कि जिले के चंदाहांडी ब्लॉक के मोती गांव में शनिवार को 42 वर्षीय महिला नुआखाई पांडे की बीमारी से मौत हो गई। महिला अपने दो भाईयों टेकराम और पुरुषोत्तम पांडे के साथ रहती थी।
गांव वालों का दोनों भाईयों के साथ पुराना विवाद था। पर दोनों ने सोचा नहीं था कि इतनी विकट परिस्थिति में भी गांव वाले दुश्मनी निभाने से बाज नहीं आएंगे। ग्रामीणों ने महिला के अंतिम संस्कार करने में सहयोग देने से ही इंकार कर दिया। गांव वालों की बेरूखी ने परिवार का दुख कई गुना बढ़ा दिया।
इंतजार करने के बाद भी जब गांव वाले नहीं आए तो दोनों भाईयों ने ही बहन का अंतिम संस्कार करने की हिम्मत जुटाई। दोनों ने जैसे तैसे बहन के शव को साइकिल के पीछे बांधा और नदी की ओर चल दिए। नदी के किनारे ले जाकर दोनों ने बहन की अंत्येष्टि कर दी। इस दौरान भी कोई उनके साथ मौजूद नहीं रहा।
”सवाल यह है कि आपसी विवाद क्या इतना सर्वोपरि है कि मानवता को भूलकर हम गुस्से को हमेशा ही पाले रखे। अगर ऐसे समय में भी किसी का दुख नहीं बांटेंगे तो इसका मतलब है कि इंसान मानवता को पतन की ओर ले जा रहा है।”