यह रकम श्रीजगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने प्राइवेट बैंक यस बैंक में जमा कराई थी। इस बैंक पर आरबीआई की पाबंदी के बाद रकम डूबने की चर्चा जोरों पर है। विधानसभा में होहल्ला के बाद जांच समिति बनायी गई। विधान सभा अध्यक्ष सूर्यनारायण पात्रो की अध्यक्षता में जांच दल सेंट्रल गवर्नमेंट और आरबीआई गवर्नर को ज्ञापन सौंपेगा। विधायक प्रदीप्त नायक, तारा बाहिनीपति, विक्रम केसरी अरुख, प्रमिला मलिक, नरसिंह मिश्रा, देवी प्रसाद मिश्रा, लक्षमण मुंडा, आतनुसव्यसाची नायक, सुभाष चंद्र पाणिग्रही, मोहन माझी, प्रताप केसरी देव जांच समिति के सदस्य बनाए गए। वित्तमंत्री निरंजन पुजारी ने गुरुवार को ही सफाई दी थी कि यस बैंक में रकम जमा करने के पीछे क्या कारण था।
जबर्दस्त वित्तीय संकट से जूझ रहे यस बैंक में महाप्रभु जगन्नाथ के 545 करोड़ फंसने को लेकर ओडिशा में राजनीति गरमा गयी है। आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। विपक्ष ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से जवाब मांगा है। हालांकि इससे पल्ला झाड़ते हुए श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के पाले में गेंद फेंक दी है। श्रीमंदिर प्रशासन का संचालन राज्य सरकार ही करती है। आपको बता दें कि यस बैंक जैसे निजी बैंक में श्रीमंदिर की स्थाई जमा पूंजी जमा करने को लेकर कांग्रेस लगातार सरकार पर आरोप लगा रही है। कांग्रेस विधायक दल के नेता नर्रंसह मिश्र ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से जवाब देने की मांग की है। कांग्रेस ने सवाल किया है कि पुरी श्रीजगन्नाथ मंदिर का 545 करोड़ रुपए यस बैंक जैसे प्राइवेट बैंक में क्यों रखा गया था इसका जवाब मुख्यमंत्री राज्य की जनता को दें।