पूरा जोर बूथ स्तर पर मजबूती पर
शाह का पूरा जोर बूथ स्तर पर मजबूती का है। पहले चरण में खोरदा, पुरी और कटक में 21 विधानसभा सीटों पर मंथन किया गया है। सूत्र बताते हैं कि इन सीटों से भाजपा किन्हें लड़ाएगी यह लगभग फाइनल होने की प्रक्रिया में है। ओडिशा को उन राज्यों में गिना जा रहा है जो हिंदी बेल्ट में भाजपा के संभावित नुकसान की भरपाई हो सकती है। पार्टी की संजीदगी का यही कारण बताया जाता है।
तटवर्ती क्षेत्र की सीटों पर जोर
भाजपा का ओडिशा पर जोर तो इसी से पता चलता है कि मोदी ने चार साल का लेखाजोखा 26 मई को कटक में जनसभा के दौरान रखा था। बीते साल अप्रैल में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी भुवनेश्वर में हुई थी। इस वर्ष फरवरी में बिजैपुर में हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा बहुत खास नहीं कर सकी। बीजद को टक्कर देने के लिए उसे कमर कसनी होगी। शाह ने राज्य की 21 लोकसभा सीटों के प्रभारियों के साथ बैठक करके प्रत्याशिता को लेकर मंथन किया। पार्टी का जोर फिलहाल तटवर्ती क्षेत्र की सीटों पर ज्यादा है। यही बीजद का गढ़ है। अमित शाह ने मोर बूथ सबूथू मजबूत अभियान के जरिए बूथ स्तर पर संपर्क कार्यक्रम चलाया था। पार्टी की नीतियों और मोदी सरकार के कार्यक्रमों का व्यापक प्रचार अभियान चलाया गया था। शाह ने इसकी मानीटरिंग पर विशेष जोर दिया।