उधर सुप्रीमकोर्ट के निर्देश पर पुरी के जिला जज मंदिर के कुशल संचालन पर काम कर रहे हैं। उन्होंने छत्तीस नियोग के सेवायतों के साथ मीटिंग की और आम भक्तों से भी हलफनामों पर सुझाव मांगे हैं। कोर्ट के ही निर्देश पर राज्य सरकार ने प्रबंधकीय योजनाओं के कुशल संचालन के लिए एक कमेटी बनाई है। यह कमेटी सुझाव देगी। यह कमेटी वैष्णव देवी, सोमनाथ मंदिर, स्वर्ण मंदिर, तिरुपति मंदिर एवं धर्मशाला मंदिरों में जाकर कामकाज देखेगी। कमेटी तीस जून तक अंतरिम रिपोर्ट सौंप देगी। सुप्रीमकोर्ट ने मृणालिनी पाढ़ी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए श्रीमंदिर की व्यवस्था संचालन में हस्तक्षेप किया है। चाबी प्रकरण की जांच करने को गठित न्यायिक जांच कमीशन के चेयरमैन जस्टिस (रि) रघुवीर दास का कहना है कि चाबी मिलने की पूर्व की स्थिति व ताजी स्थिति पर जांच महत्वपूर्ण है। संबंधित पक्षों को बुलाकर जांच कमीशन पूछताछ करेगा।
*दो महीने में क्या-क्या हुआ*
-2 अप्रैल 2018 को श्रीमंदिर के मुख्यप्रशासक ने डीएम को कोषागार में भीतरी रत्नभंडार की चाबी देने को पत्र लिखा।
-डीएम का चाबी सौंपने संबंधी पत्र जिलाकोषागार अधिकारी 4 अप्रैल को मिला।
-जिलाकोषागार की सूचना के आधार पर डीएम ने उसी दिन मुख्यप्रशासक को सूचित किया कि चाबी कोषागार में नहीं है।
-24 मई को मुख्यप्रशासक ने फिर डीएम को लिखा कि चाबी का पता लगाओ। नाजिरखाना, रिकार्ड रूम आदि खंगालों।
-भाजपा ने 11 जून को ब्लाकों जिला मुख्यालयों पर धरना दिया और 12 जून को सभी थानों में एफआईआर।
-इस पत्र के बाद चाबी तलाशने के लिए डीएम ने दो टीमें गठित की। विभिन्न विभागों में तलाश करायी। चाबी रिकार्ड रूम में सील्ड लिफाफे में चाबी पायी गई।
*उठते सवाल*
-यह कैसे संभव हुआ कि कोषागार के स्ट्रांग रूम में रखी चाबी रिकार्ड रूम में आ गयी। .
-डुप्लीकेट चाबी कहां से आ गयीं जबकि एक्ट में डुप्लीकेट चाबी का कोई प्रावधान ही नहीं है।
-चाबी मिलने की खबर सार्वजनिक करने से पहले यह जांच करने की जरूरत थी कि चाबी डुप्लीकेट है या ओरिजिनल।
-इस चाबी से रत्नभंडार खुलेगा भी कि नहीं, यह चेक करना जरूरी है।
-जिला प्रशासन की दोनों टीमों ने दो महीने रिकार्ड रूम क्या एक बार भी चेक नहीं किया।
-जून चार को गठित न्यायिक जांच कमीशन ने अब तक क्या किया।