नवयौवन वेश में देंगे दर्शन
सबको निरोग काया देने वाले महाप्रभु जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं जिसके कारण वो आने वाले 15 दिनों तक अपने भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं। उनके कपाट बंद रहते हैं और इन दिनों वो आराम करते हैं। उन्हें 15 दिनों तक केवल लौंग, इलायची, चंदन, जायफल, कालीमिर्च और तुलसी से तैयार किया काढ़ा दिया जाता है। 15 दिनों बाद उन्हें परवल का जूस दिया जाता है जिससे कि वो पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएं। वो दिन अमावस्या का होता है। तब भगवान को राजसी वस्त्र पहनाकर भक्तों के सामने लाया जाता है और रथ यात्रा का प्रारंभ होता है। इसे नवयौवन वेश कहा जाता है।
चार धाम में है शामिल
पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।