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महाप्रभु बुखार से पीडि़त, भक्तों को 15 दिन तक दर्शन नहीं देंगे

locationभुवनेश्वरPublished: Jun 29, 2018 03:33:49 pm

Submitted by:

Shailesh pandey

स्नान के बाद बुखार पीडि़त महाप्रभु जगन्नाथ, सुदर्शन चक्र, बलभद्र व देवी सुभद्रा को आलसर में प्रतिस्थापित किया गया है

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(महेश शर्मा की रिपोर्ट)
पुरी। स्नान के बाद बुखार पीडि़त महाप्रभु जगन्नाथ, सुदर्शन चक्र, बलभद्र व देवी सुभद्रा को आलसर में प्रतिस्थापित किया गया है। महाप्रभु यहां पर 15 दिन तक राजवैद्य की देखरेख में रहेंगे। इस बीच पुरी में ही लोकनाथ मन्दिर के दर्शन करने वालों को वही पुण्य मिलेगा जो जगन्नाथ जी के दर्शन से मिलता है। भक्तों के लिए यह भी व्यवस्था की गई है कि श्रीमंदिर परिसर में ही उनके प्रतिनिधि के रूप में 3 मूर्तियों को रखा गया है। भक्त उनके दर्शन करके महाप्रभु के दर्शन का लाभ ले सकते हैं। देवी सुभद्रा की प्रतिनिधि भुवनेश्वरी देवी, भलभद्र के रूप में अनन्तवासदेव तथा श्रीनारायण के रूप में खुद जगन्नाथ जी होंगे। उधर, रथ यात्रा की तैयारियों के तहत रथ निर्माण किया जा रहा है। 14 जुलाई से रथ यात्रा शुरू होगी।

 

नवयौवन वेश में देंगे दर्शन


सबको निरोग काया देने वाले महाप्रभु जगन्नाथ बीमार पड़ जाते हैं जिसके कारण वो आने वाले 15 दिनों तक अपने भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं। उनके कपाट बंद रहते हैं और इन दिनों वो आराम करते हैं। उन्हें 15 दिनों तक केवल लौंग, इलायची, चंदन, जायफल, कालीमिर्च और तुलसी से तैयार किया काढ़ा दिया जाता है। 15 दिनों बाद उन्हें परवल का जूस दिया जाता है जिससे कि वो पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएं। वो दिन अमावस्या का होता है। तब भगवान को राजसी वस्त्र पहनाकर भक्तों के सामने लाया जाता है और रथ यात्रा का प्रारंभ होता है। इसे नवयौवन वेश कहा जाता है।

 

चार धाम में है शामिल


पुरी का श्री जगन्नाथ मंदिर को हिन्दुओं के चार धाम में से एक गिना जाता है। यह वैष्णव सम्प्रदाय का मंदिर है, जो भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। इस मंदिर का वार्षिक रथ यात्रा उत्सव प्रसिद्ध है। इसमें मंदिर के तीनों मुख्य देवता, भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा तीनों, तीन अलग-अलग भव्य और सुसज्जित रथों में विराजमान होकर नगर की यात्रा को निकलते हैं।

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