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ओडिशाः धान पर एमएसपी यानी ऊँट के मुंह में जीरा

locationभुवनेश्वरPublished: Jul 04, 2018 05:14:54 pm

Submitted by:

Shailesh pandey

धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 200 रुपया प्रति क्विंटल बढ़ाने के केंद्र के फैसले से ओडिशा सरकार खुश नहीं है

paddy file photo

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(महेश शर्मा की रिपोर्ट)

भुवनेश्वर। खरीफ की फसल में केंद्र ने समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा की है। उसका कहना है कि यह बढ़ोत्तरी बहुत कम है। न्यूनतम समर्थन मूल्य 1550 रुपया प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 1750 कर दिया गया है। राज्य में सबसे ज्यादा खेती धान की होती है। राज्य के कृषि मंत्री प्रदीप महारथी ने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के किसानों के प्रति सहानुभूति को घड़ियाली आंसू बताते हुए कहा कि जून के मध्य तक न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी जाती है पर विलंब हुआ। यही नहीं कई फसलों पर अभी एमएसपी तय किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र को 2930 रुपया प्रति क्विंटल बढ़ाने के लिए पत्र लिखा था।

 

 

60 फीसदी आबादी कृषि पर निर्भर

 

 

महारथी ने कहा कि ओडिशा सरकार ने कॉमन ग्रेड का धान की एमएसपी 2930 तथा ग्रेड ए की 2970 रुपया प्रति कुंतल न्यूनतम समर्थन मूल्य की सिफारिश की थी। पर केंद्र ने क्रमशः 1745 व 1770 रुपया प्रति क्विंटल की घोषणा की जो कि कम है। महारथी का कहना है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह हाल ही में ओडिशा आए थे पर उन्होंने किसानों के लिए कुछ नहीं बोला। राज्य के 60 प्रतिशत लोग खेतीबारी पर निर्भर हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निरंजन पटनायक ने कहा कि धान पर एमएसपी के निर्णय पर केंद्र पुनर्विचार करे। राज्य भाजपा के प्रवक्ता कहते हैं कि बीते सालों में धान की एमएसपी सबसे ज्यादा 200 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाई गई है। पिछले साल 80 रुपए बढ़ाई गई थी। 2016-17 में 60 रुपया बढ़ी थी।

 

 

किसानों की बहुत छोटी जीत

 

 

स्वराज आंदोलन के ओडिशा प्रभारी लिंगराज कहते हैं कि यह किसानों की जीत तो है पर बहुत उत्साहित करने वाली नहीं है। सरकार को मजबूर होकर एमएसपी बढ़ाना पड़ा इसलिए किसान आंदोलन की यह एक लघु जीत है। केंद्र सरकार को किसानों को कम से कम डेढ़ गुना मुनाफा की गारंटी देने वाली एमएसपी चाहिए। किसानों की मांग के मुताबिक इस बढ़ोत्तरी को नहीं कहा जा सकता। यह तो ऊंट के मुंह में जीरा के बराबर है।

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