इन स्थानों को किया गया चयनित
प्रथम चरण में भुवनेश्वर से पुरी वाया चिलिका झील, व वापस भुवनेश्वर, फिर भुवनेश्वर से चांदीपुर वाया भितरकनिका नेशनल पार्क व फिर भुवनेश्वर वापस। इसके बाद तीसरी साइट है भुवनेश्वर से हीराकुद बांध संबलपुर व वहां से वापस। पर्यटन के लिहाज से ये तीनों ही स्थान महत्वपूर्ण हैं।
ओडिशा पर फोकस रखते हुए स्पाइस जेट कंपनी ने डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट स्पाइस जेट ने बनायी है। व्यावहारिक रिपोर्ट, विकसित आधारभूत ढांचा, क्षमता की संभावना व नीतिगत मसलों पर संभावना तलाशी जा रही है। शासन के सूत्रों के अनुसार ये मामले दो-एक मीटिंग में तय हो जाएंगे। ओडिशा में सी-प्लेन उड़ान भरने लगेंगे तो आगे भी संभावना तलाशी जा सकती है। ओडिशा में सी-प्लेन कनेक्टीविटी पर केंद्र व राज्य के संबंधित विभागों के अधिकारियों से सामंजस्य बनाते हुए आगे बढ़ने को कहा गया है। मालूम हो कि 14 व 15 जून को एक टीम चिलिका का दौरा कर चुकी है।
मालुम हो कि सी प्लेन एक विशिष्ट तरीके का एयरक्राफ्ट है जो जमीन के साथ-साथ पानी से भी टेकआफ कर सकता है। दो फुट पानी में भी लैंड कर सकता है। उड्डयन नियामक डीजीसीए ने एक कमेटी बनाई है, जो ऐसी करीब 15 साइट्स की पहचान कर रही है, जहां से सी प्लेन उड़ाया जा सके। चिलिका भी उन्हीं में से एक है। इस बाबत बीते दिनो डीजीसीए, चिलिका विकास प्राधिकरण, स्पाइस जेट कंपनी, मौसम विभाग सहित संबंधित विभागों के दल ने चिलिका का निरिक्षण कर एक फिजीबिल्टी रिपोर्ट बनाई। इस रिपोर्ट के आधार पर चिलिका में वाटर एयरड्रोम बनाया जाएगा। यह एयरड्रोम बनने के बाद चिलिका में भी सी प्लेन लैंड करवाए जा सकेंगे।