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मंगल आरती के बाद सेवायतों ने की हड़ताल, देर तक खड़े रहे रथ,समझाबुझाकर किया शांत

locationभुवनेश्वरPublished: Jul 15, 2018 08:39:23 pm

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Prateek

बताते हैं कि रथयात्रा में जगन्नाथ को दशावतारों के रूप में पूजा जाता है, जिनमें विष्णु, कृष्ण, वामन और बुद्ध भी शामिल हैं…

rath yatra

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महेश शर्मा की रिपोर्ट…

(पुरी): दान दक्षिणा का विवाद उत्पन्न होने के कारण महाप्रभु जगन्नाथ सहित तीनों रथों पर परंपराओं के निर्वहन में रुकावट आई। सेवायतों का कहना है कि रथों पर हुंडियां लगाना गैरकानूनी है। सुप्रीमकोर्ट की रोक के बाद भी भक्तों से दक्षिणा के रूप में पैसा लिया जाता रहा। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सेवायतों को दक्षिणा लेने से रोक दिया था। कोर्ट ने भक्तों से कहा कि वह दान पुण्य श्रीमंदिर आफिस में करें या हुंडियों में डालें। इसीलिए तीनों रथों में हुंडियां रखी गईं थी। अदालती रोक के बाद भी धड़ल्ले से दक्षिणा ली जाती रही। श्रीमंदिर के दइतापति सेवायतों का मंदिर के बाहर रथयात्रा के दौरान भक्तों की दक्षिणा पर हक बताया जाता है। रीतिनीति के बहिष्कार की कॉल देने वाले महाप्रभु के सेवायतों का कहना है कि श्रीजगन्नाथ मंदिर एक्ट में भी रथ पर हुंडी लगाने का कोई प्रावधान नहीं है। यदि हुंडी भक्तों की सुविधा के लिए दान की रकम के लिए लगायी गई है, तो उस पर दइतापतियों का हक नहीं हो सकता। हालांकि बाद में समझाबुझाकर मामला शांत कराया गया।

 

श्रीमंदिर प्रशासन के लोगों ने बताया कि रथ में लगाई गयी हुंडियों और उनमें दान की रकम को लेकर महाप्रभु जगन्नाथ के सेवायतों के एक वर्ग ने हड़ताल कर दी थी, पर थोड़ी देर बाद वे लोग मान गए। इन सेवायतों की इस हड़ताल से गुंडिचा मन्दिर के सामने खड़े श्रीजगन्नाथ, देवी सुभद्रा व बलभद्र के रथ पर मंगल आरती के अलावा और बाकी रीतिनीति पर असर पड़ा। पीआरओ लक्ष्मीधर पूजापंडा ने बताया कि थोड़ी अशांति हुई पर अब सबकुछ शांत है। समस्त रीतिनीति का निर्वहन किया जा रहा है।

 

उधर श्रीजगन्नाथ भक्तों का कहना है कि रथ खींचने वाले के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं। ऐसे भक्तों को मोक्ष प्राप्त होता है। नगर भ्रमण करते हुए शाम को ये तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच जाते हैं। अगले दिन भगवान रथ से उतर कर मंदिर में प्रवेश करते हैं और वहीं रहते हैं। यह उनकी मौसी का घर होता जहां पर सात दिन तक उन्हें खुश रखने के लिए प्यार दुलार भक्तिसंगीत पकवानों का भोग लगाया जाता है। यह महाप्रसाद माना जाता है। यह मंगलवार को सुबह वितरित किया जाएगा। श्रीमंदिर समिति से जानकारी मिली है कि रथयात्रा का शुभ मुहूर्त अषाढ़ शुक्ल की द्वितीया तिथि 14 जुलाई की सुबह 4 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 15 जुलाई 12.55 बजे तक था। इस बीच रथयात्रा संपन्न हो गयी। महाप्रभु अब रथ पर हैं। बताते हैं कि रथयात्रा में जगन्नाथ को दशावतारों के रूप में पूजा जाता है, जिनमें विष्णु, कृष्ण, वामन और बुद्ध भी शामिल हैं।

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