श्रीमंदिर प्रशासन के लोगों ने बताया कि रथ में लगाई गयी हुंडियों और उनमें दान की रकम को लेकर महाप्रभु जगन्नाथ के सेवायतों के एक वर्ग ने हड़ताल कर दी थी, पर थोड़ी देर बाद वे लोग मान गए। इन सेवायतों की इस हड़ताल से गुंडिचा मन्दिर के सामने खड़े श्रीजगन्नाथ, देवी सुभद्रा व बलभद्र के रथ पर मंगल आरती के अलावा और बाकी रीतिनीति पर असर पड़ा। पीआरओ लक्ष्मीधर पूजापंडा ने बताया कि थोड़ी अशांति हुई पर अब सबकुछ शांत है। समस्त रीतिनीति का निर्वहन किया जा रहा है।
उधर श्रीजगन्नाथ भक्तों का कहना है कि रथ खींचने वाले के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं। ऐसे भक्तों को मोक्ष प्राप्त होता है। नगर भ्रमण करते हुए शाम को ये तीनों रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच जाते हैं। अगले दिन भगवान रथ से उतर कर मंदिर में प्रवेश करते हैं और वहीं रहते हैं। यह उनकी मौसी का घर होता जहां पर सात दिन तक उन्हें खुश रखने के लिए प्यार दुलार भक्तिसंगीत पकवानों का भोग लगाया जाता है। यह महाप्रसाद माना जाता है। यह मंगलवार को सुबह वितरित किया जाएगा। श्रीमंदिर समिति से जानकारी मिली है कि रथयात्रा का शुभ मुहूर्त अषाढ़ शुक्ल की द्वितीया तिथि 14 जुलाई की सुबह 4 बजकर 32 मिनट से शुरू होकर 15 जुलाई 12.55 बजे तक था। इस बीच रथयात्रा संपन्न हो गयी। महाप्रभु अब रथ पर हैं। बताते हैं कि रथयात्रा में जगन्नाथ को दशावतारों के रूप में पूजा जाता है, जिनमें विष्णु, कृष्ण, वामन और बुद्ध भी शामिल हैं।