ओडिशा सरकार ने हलफनामा दायर करके सुप्रीमकोर्ट को सूचित किया था कि ओडिशा लोकायुक्त एक्ट 2014 जनवरी 16 सन 2915 से लागू हो जाएगा। लेकिन नहीं हुआ। बताया गया कि नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। मालूम हो कि ओडिशा भारत का पहला राज्य है जिसने सर्वसम्मति से लोकायुक्त एक्ट 2014 पास किया था। राष्ट्रपति की मुहर लगाई जा चुकी है। लेकिन नियुक्ति को लेकर विलंब होता रहा। सरकार की प्राथमिकता सूची से लोकायुक्त बाहर कर दिए गए थे।
लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर विपक्ष करता है हंगामा
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने लोकायुक्त एक्ट के क्रियान्वयन के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करके उसकी नियुक्ति का रास्ता साफ कर दिया। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में चयन समिति बनाई गई है। विधानसभा अध्यक्ष और नेता विपक्ष समेत पांच लोग इसके सदस्य होंगे। लोकायुक्त नियुक्त करने की मांग को लेकर प्रत्येक विधानसभा सत्र में विपक्षी दल हंगामा करते हैं। सदन की कार्रवाई स्थगित करने तक की नौबत आ जाती है। कई बार ऐसा हुआ कि नेता विपक्ष को विस अध्यक्ष आसन के समक्ष धरना देकर बैठना पड़ा।
कांग्रेस ने किया जबानी हमला
कांग्रेस के मुख्य सचेतक तारा वाहिनीपति का कहना है कि मुख्यमंत्री और उनके मंत्री न फंस जाए शायद इसीलिए लोकायुक्त की नियुक्ति टालने में ही सरकार भलाई समझ रही है। भाजपा के प्रदीप पुरोहित कहते हैं कि मुख्यमंत्री लोकायुक्त पर जवाब देने से कतराते रहे। अब सुप्रीमकोर्ट का दबाव पड़ा है तो मुस्तैदी दिखाई जा रही है।