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छत्तीसगढ़: इस सड़क को बनाने में 44 जवान हो गए शहीद, अब तक 20 करोड़ खर्च, फिर भी अूधरा

locationबीजापुरPublished: Mar 04, 2019 04:50:34 pm

44 जवानों ने अपनी शहादत दी है या यू कहें कि उन 44 जवानों ने अपने खून से सींच कर

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छत्तीसगढ़: इस सड़क को बनाने में 44 जवान हो गए शहीद, अब तक 20 करोड़ खर्च, फिर भी अूधरा

बीजापुर. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना निश्चित ही ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के विकास के साथ लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोडऩे शुरू की गई है। लेकिन छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर जिले के ग्राम पंचायत पापनपाल में इसी योजना के तहत सड़क बनाने में अब तक 44 जवान शहीद हो गए। आपको जानकार हैरानी होगी कि इस सड़क को पूरा करने में अब तक 84 लाख रुपए की हेराफेरी भी हो गई।
पीएमजीएसवाय से पहले गंगालूर मार्ग के निर्माण के दौरान नक्सली हमलों में तकरीबन 44 जवानों ने अपनी शहादत दी है या यू कहें कि उन 44 जवानों ने अपने खून से सींच कर नक्सली चुनौती के बावजूद इस 25 किमी सड़क का निर्माण कर लोगों के आवागमन के लिए तैयार किया था।
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खूनी सड़क
जिसके बाद से इस सड़क को पूरे राज्य में खूनी सड़क के नाम से जाना जाता था परंतु अब एक बार फिर से इस सड़क का निर्माण पीएमजीएसवाय को सौंपा गया है। पीएमजीएसवाय इस समय जिले में सड़क निर्माण का एक बड़ा एजेंसी माना जाता है। परंतु यह कमीशनखोरी के खेल ने सड़कों की गुणवत्ता को ही खत्म कर दिया है। गंगालूर सड़क की भी कुछ ऐसी ही कहानी है।

जहां सड़क निर्माण का कार्य कर रहे द हंगल कंपनी के ठेकेदार को कंस्ट्रक्शन कंपनी पर मेहरबां विभाग के इंजीनियरए एसडीओ व अन्य आला अधिकारियों ने अधूरे काम के दौरान ही 20 करोड़ रूपयों की एक बड़ी राशि का भुगतान बिना राष्ट्रीय गुणवत्ता समीक्षा के गुणवत्ताहीन कार्य के लिए कर दिया गया है। जबकि वर्तमान में तकरीबन 40 फीसदी निर्माण कार्य होना शेष है।

1 नवंबर 2017 से शुरू हुआ था काम
1 नवंबर 2017 को पीएमजीएसवाय के तहत् बीजापुर से चेरपाल गंगालूर होते हुए दंतेवाड़ा की सीमा पर स्थित हिरोली गांव तक सड़क निर्माण कार्य शुरू किया गया था। जिसमें तकरीबन 20 किमी तक सीसी सड़क का चौड़ीकरण और करीब 22 किमी तक नए सड़क का निर्माण किया जाना था। इस सड़क के निर्माण कार्य का ठेका पीएमजीएसवाय द्वारा दिल्ली की कंस्टक्षन कंपनी द हंगल को दिया गया ।

इस एजेंसी के द्वारा दो साल पूर्व इस कार्य को शुरू किया गया। इस निर्माण कार्य में सड़क के साथ.साथ 64 छोटे.बड़े पुल.पुलिया का निर्माण शामिल हैए परंतु अब तक ना तो पुल.पुलियों का कार्य पूर्ण हो पाया और ना ही सड़क निर्माण का कार्य गति पर है। पुल निर्माण के दौरान कई पुल तो ऐसे थे जो घटिया निर्माण के चलते निर्माण के दौरान ही ढह गए थे।
जिन्हें तुरंत बाद सुधारने की कोशिश भी की गई। इस सड़क निर्माण में जो गुणवत्ता निर्धारित की गई है उस पर कंस्ट्रक्शन कंपनी अधिकारियों के शह में बड़े पैमाने पर गोलमाल कर जिले के सबसे घटिया और गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य को अंजाम दे रहा है। 44 करोड़ की लागत से बीजापुर से हिरोली तक स्वीकृत 41 किमी की इस सड़क में तकरीबन 20 किमी के दायरे में दोनों ओर 70.70 सेमी के चौड़ीकरण का कार्य किया जाना था और करीब 22 किमी नए सड़क का निर्माण किया जाना थाए जिसमें मिट्टी मुरूमए डब्लूबीएम और पुल के साथ डामरीकरण का कार्य भी शामिल है।
मतलब अब तक प्रालन के आधार पर 30 फीसदी कार्य भी पूर्ण नहीं हो पाया है, बावजूद कंस्ट्रक्शन कंपनी को 20 करोड़ की राशि का भुगतान कर दिया गया। यह भी बताया जा रहा है कि कार्य के शुरूआती दिनों में छह करोड़ के मूल्यांकन के बावजूद एसडीओ के दबाव के चलते दस करोड़ का भुगतान कंस्ट्रक्शन कंपनी को कर दिया गया थाए जिसमें 4 करोड़ की अग्रिम राषि शामिल थी। कमीशन के इस खेल के चलते कार्रवाई से बेखौफ द हंगल कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा लगातार गुणवत्ताहीन कार्य को अंजाम देकर क्षेत्र के लोगों के साथ खिलवाड़ कर रही है।
इस मामले में निर्माण कार्य देख रहे इंजीनियर सदानंद महिकवार का कहना है कि निर्माण कार्य की सतत निगरानी की जा रही है और निर्माण कार्य के हिसाब से निर्माण सामग्री का रेसयो अलग अलग तय किया गया है बावजूद अगर निर्माण कार्य मे लापरवाही बरती जा रही है तो निश्चित ही उसका जायजा लिया जाएगा। ्र
जिस जगह शहादत वहीं खुली भ्रष्टाचार की पोल
बीजापुर से गंगालूर तक 25 किमी के सीसी सड़क का निर्माण वर्ष 2006.07 में नक्सलियों द्वारा लगाए जाने वाले बारूदी सुरंगों से बचने के लिए पुलिस की निगरानी में ही नहीं बल्कि पुलिस को ही निर्माण एजेंसी बनाकर किया गया था। उस दौरान इस सड़क निर्माण के लिए सुरक्षा में लगे करीब 44 जवान शहीद हुए थे। 3 सितम्ंबर 2005 को पोंजेर के पास नक्सलियों द्वारा एंटी लैंडमाइन वाहन को निशाना बनाया था।
जिसमें 24 जवान शहीद हुए थे और बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कंस्ट्रक्शन कंपनी और पीएमजीएसवाय के कमीशन के खेल में इसी जगह सबसे ज्यादा गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य को अंजाम दिया गया। 44 जवानों की शहादत के बावजूद कमीशनखोरी के इस खेल में इस सड़क का पीएमजीएसवाय के अधिकारियों और कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य को अंजाम देना जवानों का अपमान ही नहीं बल्कि नक्सल मोर्चे पर विकास कार्यों के लिए 24 घंटे अपनी ड्यूटी निभाने वाले जवानों के मनोबल के साथ ही खिलवाड़ है।

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