यही जानकारी देने ह्यूमन राइट्स फॉर नेटवर्क के वकील और याचिकाकर्ता की छह सदस्यी टीम ग्रामीणों को यह जानकारी देने दंतेवाड़ा पहुंची। यहां एडसमेटा के 15 ग्रामीणों से मुलाकात कर उन्हें जानकारी दी। इस दौरान ग्रामीणों ने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से वे खुश हैं, लेकिन मामले की जांच राजधानी में बैठकर सिर्फ कागज में न हो। बल्कि वे गांव आएं और यहां ग्रामीणों के बीच आकर सच्चाई का पता लगाएं।
आवेदनकर्ता डिग्री कुमार चौहान ने बताया कि 3 मई को सुप्रीम कोर्ट ने एडसमेटा जनसंहार को लेकर सुनवाई की थी। इस जानकारी को ग्रामीणों तक पहुंचाने के लिए वे दंतेवाड़ा पहुंचे थे। एडसमेटा इलाके से करीब 15 लोग दंतेवाड़ा पहुंचे और यहां सुप्रीम कोर्ट के आदेश की विस्तार से जानकारी ली।
क्योंकि जल्द ही सीबीआई की टीम यहां तक पहुंचेगी और ग्रामीणों से बात करेगी। ऐसे ग्रामीणों को इस बात की जानकारी होनी चाहिए। साथ ही उन्हें यह भी मालूम हो कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्या कहा है?
जांच के दौरान स्थानीय पुलिस के दस्ते ज्यादा न पहुंचे क्योंकि मामले में स्थानीय पुलिस पर आरोप है। ऐसे में यदि स्थानीय पुलिस के दस्ते जांच के दौरान अधिक संख्या में मौजूद रहेंगे तो ग्रामीणों में डर रहेगा और वे खुलकर बात नहीं कर सकेंगे। डिग्री चौहान का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने जांच अधिकारी जब प्रदेश के बाहर के होने का कहा है, इसके पीछे का कारण भी यही है। इसलिए वे इसकी मांग करेंगे।
6 सदस्यी टीम में एक यूएस की महिला ऐलेनॉर भी ग्रामीणों से मुलाकात कर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले की जानकारी देने के लिए ह्यूमन राइट्स की छह सदस्यी टीम पहुंची थी। इसमें याचिकाकर्ता डिग्री प्रसाद चौहान, किशोर नारायण, राणा विश्वास शामिल थे। यह सभी वकील हैं। इनकी टीम में यूएस से बस्तर आई महिला भी थी, जिसका नाम एलनॉर है। इन सभी ने दो दिन दंतेवाड़ा में रहकर ग्रामीणों से मुलाकात की और उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की जानकारी दी।
सोनी सोढ़ी से भी की मुलाकात, मामले को लेकर की बातचीत ह्यूमन राइट्स (Human rights) की टीम ने सोनी सोढ़ी से भी मुलाकात की। करीब आधे घंटे तक उनसे बात कर इस मामले की जानकारी ली। सोनी सोढ़ी ने कहा कि वे इस मामले पर जल्द ही ग्रामीणों से भी बात करेंगी। वहीं ग्रामीणों को न्याय मिले और सच्चाई सबके सामने आए इसके लिए भी हर संभव मदद करेंगे, चाहे वे ग्रामीण हों या सीबीआई (CBI) की टीम।