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माओवादी पहली बार मात खा गए अपने सीक्यूबी और एसएटी प्लान में, जानिए कैसे देते है इस प्लान को अंजाम

locationबीजापुरPublished: Aug 05, 2018 10:40:13 am

Submitted by:

Badal Dewangan

माओवादी पहली बार मात खा गए बासागुड़ा साप्ताहिक बाजार में, ये था हमला करने का तरीका, सीक्यूबी और एसएटी

बीजापुर में पुलिस नक्सली मुठभेड़

माओवादी पहली बार मात खा गए अपने सीक्यूबी और एसएटी प्लान में, जानिए कैसे देते है इस प्लान को अंजाम

बीजापुर. बीजापुर के बासागुड़ा साप्ताहिक बाजार में शुक्रवार को पहली दफे माओवादियों का दांव उल्टा पड़ा और पुलिस के जवानों पर हमला करने वाले माओवादियों में से एक मारा गया जबकि उसके अन्य दो साथी घायल हो गए। अब तक हाट-बाजारों में हमला कर माओवादी दो दर्जन से अधिक जवानों, जन प्रतिनिधियों और ग्रामीणों को निशाना बना चुके हैं।

बस्तर में सक्रिय माओवादी क्लोज क्वार्टर बैटल (सीक्यूबी) तकनीक का इस्तेमाल बीते एक दशक से कर रहे हैं। इस तकनीक का इस्तेमाल भीड़भाड़ वाली जगहों पर हमले के लिए किया जाता है। 2 दिसंबर 2007 को इसी तकनीक के सहारे माओवादियों ने पहली बार दंतेवाड़ा के गादीरास साप्ताहिक बाजार में हमला कर एक प्रधान आरक्षक की हत्या कर दी और एएसआई को घायल कर दिया था।
दरअसल बासागुड़ा बाजार में तैनात जवान शहीदी सप्ताह का आखिरी दिन होने की वजह से पूरी तरह चौकस थे और माओवादियों की स्माल एक्शन टीम के इस अचानक हुए हमले में घायल होने के बावजूद न केवल अपने हथियार बचाने में कामयाब हुए बल्कि एक माओवादी को भी मार गिराया। आसपास मौजूद जवान भी तत्काल मौके पर पहुंच गए।

यह है सीक्यूबी
क्लोज क्वार्टर बैटल का इस्तेमाल जंगलों और पहाडिय़ों की बजाय शहरी और कस्बाई इलाकों में होता है। इसमें तंग और भीड़भाड़ वाली जगहों पर काफी नजदीक से हमला किया जाता है। हमलावर धारदार हथियार से हमला करते हैं या फिर रिवाल्वर और पिस्टल से पाइंट ब्लैंक रेंज यानी करीब से बिना निशाना साधे ही गोली दाग देते हैं। इस तरह की कार्रवाई को अंजाम देने वाले बिना हथियार की लड़ाई में भी माहिर होते हैं। इस तरह के हमले को माओवादियों की स्माल एक्शन टीम अंजाम देती है।

यह है एसएटी
माओवादी अपने लड़ाकू दस्तों के गठन के बाद जंगलों से निकलकर शहरी और कस्बाई क्षेत्रों का रुख करने लिए स्माल एक्शन टीम का गठन किया। जो सीधे डिवीजनल कमेटी के आधीन होती है। इसमें चुस्त और फुर्तीले युवाओं को रखा जाता है। जिनकी पहचान गोपनीय रखी जाती है। अमूमन तीन-चार की तादाद में ही ये हमला करते हैं।

डीआईजी रतनलाल डांगी ने बताया कि, हाट-बाजारों में तैनाती के दौरान जवानों को अतिरिक्त सर्तकता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। सादी वेशभूषा में भी जवान तैनात किए जाते है। शहीदी सप्ताह के चलते जवान चौकस थे। जिसके चलते जवान हमलावर माओवादी को मार गिराने में कामयाब रहे।
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