राजधानी में संचालित उद्योग मानक स्तर से ज्यादा धुआ उगल रहे है, लेकिन इन उद्योग संचालकों पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं हो रही है। पर्यावरण के क्षेत्रीय अधिकारियों से जब भी कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी जाती है, तो मुख्यालय से जानकारी लेने का हवाला देते हुए अधिकारी बाद में आने के लिए कहते है। क्षेत्रीय कार्यालय में कितने फील्ड अफसर है? उन्होंने कितने उद्योगों की जांच की है? इन सवालों का जवाब भी प्रबंधक के पास नहीं है।
4 फील्ड अफसर फिर भी सख्ती नहीं विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक पर्यावरण विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय में 4 फील्ड अफसर है। इन फील्ड अफसरों को उद्योगों की जांच करने और उसकी रिपोर्ट बनाकर क्षेत्रीय कार्यालय में सबमिट करने का निर्देश है। इन अफसरों ने विभाग में पदस्थ होने के बाद कितने उद्योगों की जांच की इसकी विस्तृत डाटा क्षेत्रीय पर्यावरण कार्यालय में नहीं है। ऑनलाइन डाटा अपडेट करने का निर्देश अफसरों को मुख्यालय से जारी है, इसमें भी अफसर लापरवाही बरत रहे है।
उच्च दाब के 150 उद्योग राजधानी में संचालित उद्योग विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रायपुर जिले में उच्च दाब वाले 150 उद्योग संचालित है। बड़े कारखाने उरला, सिलतरा, धरसींवा, बिरगांव इलाके में लगा है। कारखानों से निकलने वाले धुआ ने उरला-सिलरा और धरसींवा के रहवासियों का जीना दूभर कर दिया है। इन इलाकों में अधिकांश लोग सांस की बीमारी से जूझ रहे है। इलाके के लोगों ने कई बार स्थानीय जनप्रतिनिधी के माध्यम से उद्योगों के धुआ पर नियंत्रण लगाने की मांग की, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
राजधानी में हवा मानक से ज्यादा प्रदूषित मुख्यालय से मिले आंकड़े के अनुसार राजधानी की हवा में प्रदूषण मानक स्तर से ज्यादा है। एक्सपर्ट की माने तो हवा में 50 पीएम 10 का स्तर लोगों की सेहत पर प्रभाव नहीं डालता, लेकिन 50 पीएम 10 से जब धुआ हवा में हो जाता है, तो लोगों को स्वास्थ्य और आंखों की बीमारी से जूझना पड़ता है। वर्तमान में रायपुर जिले की हवा में पीएम 10 का आंकड़ा 66.371 पीएम 10 है, जो रहवासियों की सेहत के लिए सही नहीं है।
एक्सपर्ट व्यू
राजधानी में पाल्यूशन स्तर बढऩे का प्रमुख कारण पेड़ो की कटाई और धुआ उगलते हुए कारखाने है। उद्योगों के खिलाफ सख्ती करने के बाद ही पाल्यूशन के स्तर को नियंत्रित किया जाता है। कंडम वाहन भी पाल्यूशन स्तर बढऩे का एक कारण है, इन पर भी कार्रवाई होना चाहिए।
-प्रो. शम्स परवेज, पर्यावरण विद
2018 की अपेक्षा 2019 में पीएम 10 का स्तर कम रिकार्ड हुआ है। ये सकरात्मक पहल है। क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय की टीम समय-समय पर जांच करती है। जो उद्योग ज्यादा धुआ फेक रहे है, उन पर कार्रवाई की जाएगी। क्षेत्रीय कार्यालय की अव्यवस्थाओं में सुधार हो इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों को इससे अवगत कराता हूं।
-अमर प्रकाश सावंत, पीआरओ,पर्यावरण विभाग