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यहां स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शौचालय निर्माण में जमकर धांधली हुई है। सरकारी रिकार्ड की बात करें तो ग्राम बोकराबेड़ा ओडीएफ ग्राम घोषित हो चुका है लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट कुछ और ही कहती है। यहां आधे से अधिक शौचालय का अधूरे पड़े हुए है।
ग्रामीणों का आरोप है कि बोकराबेड़ा ग्रामीण रामेश्वर, शिवलाल सोरी, विक्रम सिंह, सूरज, बलदेव, धनाजी राम, मस्सुराम, राजकुमार, तुलाराम, सियाराम, मताऊ, चैतराम, दिलीप, रामलाल, हीरालाल तथा अन्य ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम बोकराबेड़ा में चार पारा बड़ेपारा, ग्रांजीपारा, छोटे बोकराबेड़ा और कोंदापखना में से ग्रांजीपारा और बड़ेपारा में कुल 130 शौचालय आज तक अधूरा पड़ा है लेकिन ग्राम पंचायत को ओडीएफ घोषित कर दिया गया।
शौचालय निर्माण में ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिव ने जमकर धांधली की है। जानकारी के अनुसार निर्माण में लगे राजमिस्त्री, मजदूरों व ट्रैक्टरों को भुगतान नहीं हुआ है। साथ ही घटिया निर्माण के चलते शौचालय में लगे ईट और प्लास्टर टूटना शुरू हो गए है ।
शिकायत के बाद भी नहीं हुई कोई कार्यवाही
इस मामले को लेकर ग्रामीणों ने जनपद सीईओ एवं जिला के मुखिया कलक्टर तक भी शिकायत की गई जिसका आज तक कोई असर नहीं दिखा। अगर इस मामले की जांच उच्च अधिकारियों से कराई जाए भ्रष्टाचारियों, की पोल जरूर खुल सकती है। इस मामले को लेकर जब जनपद पंचायत फरसगांव से जानकारी मांगी गई तो उनके अनुसार ग्राम बोकराबेड़ा में कुल 230 शौचालय स्वीकृत है जिसकी कुल राशि 27 लाख 60 हजार रुपए बनती है। इसमें से 25 लाख 30 हजार रुपए पंचायत को भेजी जा चुकी है।
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यह कहा सीईओ ने
शासन के नियमानुसार शौचालय निर्माण होने पर ही 12,000 रू प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। अनियमितता की शिकायतें मिलने पर जांच के लिए कमेटी गठित की जा रही है। रिपोर्ट के आधार पर उचित कार्यवाही की जाएगी। ग्राम बोकराबेड़ा में बिना शौचालय निर्माण हुए ग्राम के ओडीएफ की घोषणा के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि मेरे कार्यकाल का न होने कारण मैं कोई कमेंट नहीं कर सकती। इसकी जांच की जाएगी।
-नुपूर राशि पन्ना, सीईओ
जिला पंचायत कोण्डागांव
सबसे बड़ा सवाल
अगर 230 में 130 शौचालय अधूरे हैं तो उस पंचायत को ओडीएफ कैसे घोषित किया गया। किसी भी ग्राम को ओडीएफ घोषित करने से पहले शौचालयों का मापदंड अनुसार निर्माण का सत्यापन किया जाता है, उसके बाद ही खुले में शौचमुक्त ग्राम का तमगा मिलता है।
लेकिन बोकराबेड़ा जैसे और न जाने कितने गांव होंगे जो भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों और सरकारी महकमे की मिलीभगत से कागजों पर तो खुले में शौच मुक्त ग्राम घोषित हो चुके होंगे और उन गांवों की बेटी बहूएं आज भी खुले में शौच करने मजबूर होंगी।