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लोगों को पीने के पानी के हैं लाले, उद्योग काट रहे चांदी

locationबीजापुरPublished: May 19, 2019 09:52:01 pm

Submitted by:

Deepak Sahu

बिना जल संसाधन (Water resource) की अनुमति के पिछले एक साल से बेतहासा जल दोहन किया जा रहा है और जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे बैठे हैं

water crisis

लोगों को पीने के पानी के हैं लाले, उद्योग काट रहे चांदी

रायगढ़. रायगढ़ जिला जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत पर चल रहा है। यहां सभी कार्य नियम कायदों को ताक में किए जा रहे हैं। फिर चाहे वह नजूल जमीन पर मॉल या मकान बनाना हो या फिर लोगों के हक छीनना हो। ऐसा ही कुछ महापल्ली के कोटमार स्थित इंड सिनर्जी लिमिटेड का उद्योग प्रबंधन कर रहा है।

इनके द्वारा सपनई नदी से बिना जल संसाधन (Water resource) की अनुमति के पिछले एक साल से बेतहासा जल दोहन किया जा रहा है और जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे बैठे हैं, जबकि वहीं जब यहां के ग्रामीणों ने गर्मी में निस्तारी के लिए नहर में पानी छोडऩे की मांग की तो जल संसाधन के अधिकारियों ने पानी न होने की समस्या बताकर मना कर दिया। इसे लेकर लोगों को आंदोलन तक करना पड़ा है।
जिले के महापल्ली गांव के पास कोटमार में इंड सिनर्जी प्राईवेट लिमिटेड के नाम से पॉवर व आयरन प्लांट है। यह प्लांट साल 2004-05 में स्थापित किया गया था, लेकिन राज्य शासन से पानी लेने की अनुमति न मिलने सहित कई अन्य समस्याओं के चलते प्लांट कई सालों तक बंद रहा। इसके बाद प्लांट को बंटी डालमिया, श्रवण अग्रवाल और अनूप बंसल आदि ने मिलकर टेकओवर कर लिया।
अब इनके द्वारा पिछले एक साल से अपनी पहुंच का रौब दिखाकर मनमाने तरीके से बिना अनुमति हर दिन हजारों क्यूबिक लीटर पानी लिया जा रहा है। कंपनी प्रबंधन ने एक महीने पहले ही पानी के लिए अनुमति लिया है, लेकिन उससे पहले एक साल तक अवैध रूप से जल दोहन किया गया। कंपनी के द्वारा कोटमार के पास खसरा नंबर 150/6 और 152/2 पर सपनई नाला में बकायदा इंटकवेल बनाया गया है।
उसके आगे एक छोटा सा स्टॉप डैम बनाकर नदी का पानी इंटकवेल के माध्यम से लेकर प्लांट तक पहुंचाया जा रहा है। यहां के पंप ऑपरेटर ने बताया कि पिछले एक साल से कंपनी लगातार पानी ले रही है और जल संसाधन विभाग के अधिकारी यहां दौरे पर भी आते रहे हैं। इससे साफ है कि यह सारा खेल जल संसाधन की मिलीभगत से होता रहा है।
जंगल की जमीन खोदकर बिछाई गई पाइप लाइन
कोटमार स्थित प्लांट से सपनई नाले की दूरी लगभग दो से तीन किलोमीटर है। इसके बीच राजस्व और वन विभाग की काफी जमीन है। लेकिन उद्योग प्रबंधन ने बिना वन विभाग की अनुमति के यहां पाइप लाइन व इलेक्ट्रिक लाइन बिछा दी है, जो कि समझ से परे है।
लोग कर चुके हैं पानी के लिए आंदोलन

जल संसाधन विभाग ने 1990 के पहले भगोरा के सपनई डैम बनाया था। इस डैम से निकली नहर से महापल्ली, सल्हेओना, बनोरा और खैरपाली जैसे गांव में पानी जाता है। कुछ दिन पहले गांव में तालाब सूख जान से ग्रामीणों ने नहर में पानी छोडऩे की मांग की थी, लेकिन जल संसाधन विभाग ने डैम में पानी न होने से पानी छोडऩे से मना कर दिया था, जिससे लोगों ने आंदोलन कर आरोप लगाया था कि लोगों के हक का पानी अवैध तरीके से उद्योगों को दिया जा रहा है, जबकि ग्रामीण निस्तारी के लिए परेशान हैं। इस मामले पर कलक्टर ने संज्ञान लेकर लोगों की समस्या का समाधान किया था।
उद्योग के भीतर दर्जनों अवैध बोर

लोगों का आरोप है कि उद्योग प्रबंधन ने प्लांट के अंदर दर्जनों बड़े-बड़े बोर करवाए हैं और उनसे भी अवैध रूप से भूगर्भ जल का दोहन कर रहा है। जबकि नियम के मुताबिक व्यवसायिक उपयोग के लिए बोर कराने से पहले जिला प्रशासन की अनुमति लेना जरूरी है।
हम इतना बड़ा प्लांट चला रहे हैं तो नियम के तहत ही काम किया गया होगा। आपको जो करना है करिए हम ऊपर बात कर लेंगे।
-अमित दास, मैनेजर, इंड्स सिनर्जी

कोर्ट से तीन गुना दर अधिक दर पर पानी देने का आदेश दिया गया है। इंड्स सिनर्जी यदि एक साल से पानी ले रहा था और प्लांट के अंदर बोर उत्खन्न हुआ है तो इस पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
-एनएन तिवारी, ईई जलसंसाधन विभाग रायगढ

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