scriptपत्रिका असर: रोटी के लिए मौत का सफर तय कर रहे किसान, प्रशासन ने दिए जांच के आदेश-देखें वीडियो | Farmers crosses the Ganga taking risk in Bijnor ADM order to probe | Patrika News

पत्रिका असर: रोटी के लिए मौत का सफर तय कर रहे किसान, प्रशासन ने दिए जांच के आदेश-देखें वीडियो

locationबिजनोरPublished: Jan 13, 2018 07:20:27 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

पत्रिका ने जब इस खबर को उठाया तो एडीएम प्रशासन मदन सिंह गरबियाल ने कहा कि मामले की जांच कराकर किसानों के लिए जो भी व्यवस्था हो सकती है करेंगे।

farmers on Ganga
बिजनौर। इस कड़कड़ाती ठण्ड और कोहरे में एक दर्जन से भी अधिक गांव के किसान मौत का सफर तय करते हुए गंगा पार करके खेतों पर जाने को मजबूर हैं। उधर 25-30 फीट गहरी गंगा को पार करके यह किसान गन्ने जैसी जाड़ों की फसल को किस तरह बाजारों और मिलों तक पहुंचा रहे हैं। जिसे देखकर आम आदमी दंग रह जाएंगे। वैसे तो यह पूरे साल इसी तरह अपने काम को अंजाम देते रहते हैं। जिसके चलते उन्हें अपनी और अपने जानवरों की ज़ानें तक गंवानी पड़ती हैं। किसान आज भी नाव से गंगा पार करके खेती करने जा रहा है।
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आपको बता दें कि बिजनौर के राजरामपुर गांव के खादर क्षेत्र के करीब दर्जनों गांव का हजारों हेक्टेयर जमीनी रकबा गंगा के दूसरी ओर पड़ता है। यहां के किसानों को गंगा के उस पार आने-जाने के लिए कोई व्यवस्था न होने के कारण रोज नाव से अपने खेतों पर जाना पड़ता है, लेकिन उसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। क्षेत्र के किसान अपनी फसलों को खेतों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और बुग्गियों से गंगा के किनारे तक लाते हैं। फिर वहां से इसे नावों में रखकर इस पार लाते हैं।
किसानों की इस बड़ी परेशानी को देखते हुए आज तक यहां किसी भी पुल की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा नहीं कराई गई, लेकिन पत्रिका ने जब इस खबर को उठाया तो एडीएम प्रशासन मदन सिंह गरबियाल ने बताया कि आप के द्वारा मामला संज्ञान में आया है। इस मामले की हम जांच कराकर इन किसानों के लिए जिला प्रशासन की तरफ से जो भी व्यवस्था हो सकती है करेंगे। अभी हम उच्च और अन्य अधिकारियों से बातचीत कर लें।
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किसान 25-30 फीट गहरी गंगा जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं। जिसके चलते इन्हे हादसों का शिकार होना पड़ता है। बिजनौर में गंगा बैराज बनने से पहले प्रशासन द्वारा गंगा के उस ओर आने-जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाती थी। बैराज बनने के पश्चात् पिछले दो दशकों से यहां के किसान इस व्यवस्था के लिए तरस रहे हैं। किसान नेता राजेन्द्र सिंह ने इस मामले में पत्रिका सवांददाता से कहा कि हम खून पसीने से फसल उगाकर लोगों के लिए अन्न पैदा करते हैं। फिर भी हमारी तरफ प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।
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