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शालीमार गार्डन के KA ब्लॉक में महिलाओं के साथ होती हैं ये घटनाएं, नहीं होती कोई सुनवाई-देखें वीडियो आपको बता दें कि बिजनौर के राजरामपुर गांव के खादर क्षेत्र के करीब दर्जनों गांव का हजारों हेक्टेयर जमीनी रकबा गंगा के दूसरी ओर पड़ता है। यहां के किसानों को गंगा के उस पार आने-जाने के लिए कोई व्यवस्था न होने के कारण रोज नाव से अपने खेतों पर जाना पड़ता है, लेकिन उसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। क्षेत्र के किसान अपनी फसलों को खेतों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और बुग्गियों से गंगा के किनारे तक लाते हैं। फिर वहां से इसे नावों में रखकर इस पार लाते हैं।
शालीमार गार्डन के KA ब्लॉक में महिलाओं के साथ होती हैं ये घटनाएं, नहीं होती कोई सुनवाई-देखें वीडियो आपको बता दें कि बिजनौर के राजरामपुर गांव के खादर क्षेत्र के करीब दर्जनों गांव का हजारों हेक्टेयर जमीनी रकबा गंगा के दूसरी ओर पड़ता है। यहां के किसानों को गंगा के उस पार आने-जाने के लिए कोई व्यवस्था न होने के कारण रोज नाव से अपने खेतों पर जाना पड़ता है, लेकिन उसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। क्षेत्र के किसान अपनी फसलों को खेतों से ट्रैक्टर-ट्रॉलियों और बुग्गियों से गंगा के किनारे तक लाते हैं। फिर वहां से इसे नावों में रखकर इस पार लाते हैं।
किसानों की इस बड़ी परेशानी को देखते हुए आज तक यहां किसी भी पुल की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा नहीं कराई गई, लेकिन पत्रिका ने जब इस खबर को उठाया तो एडीएम प्रशासन मदन सिंह गरबियाल ने बताया कि आप के द्वारा मामला संज्ञान में आया है। इस मामले की हम जांच कराकर इन किसानों के लिए जिला प्रशासन की तरफ से जो भी व्यवस्था हो सकती है करेंगे। अभी हम उच्च और अन्य अधिकारियों से बातचीत कर लें।
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पहले बेटे से कराया देह दान और फिर खुद किया ये नेक काम, जानकर आप भी करेंगे तारीफ किसान 25-30 फीट गहरी गंगा जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं। जिसके चलते इन्हे हादसों का शिकार होना पड़ता है। बिजनौर में गंगा बैराज बनने से पहले प्रशासन द्वारा गंगा के उस ओर आने-जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाती थी। बैराज बनने के पश्चात् पिछले दो दशकों से यहां के किसान इस व्यवस्था के लिए तरस रहे हैं। किसान नेता राजेन्द्र सिंह ने इस मामले में पत्रिका सवांददाता से कहा कि हम खून पसीने से फसल उगाकर लोगों के लिए अन्न पैदा करते हैं। फिर भी हमारी तरफ प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।
पहले बेटे से कराया देह दान और फिर खुद किया ये नेक काम, जानकर आप भी करेंगे तारीफ किसान 25-30 फीट गहरी गंगा जान जोखिम में डाल कर पार करते हैं। जिसके चलते इन्हे हादसों का शिकार होना पड़ता है। बिजनौर में गंगा बैराज बनने से पहले प्रशासन द्वारा गंगा के उस ओर आने-जाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जाती थी। बैराज बनने के पश्चात् पिछले दो दशकों से यहां के किसान इस व्यवस्था के लिए तरस रहे हैं। किसान नेता राजेन्द्र सिंह ने इस मामले में पत्रिका सवांददाता से कहा कि हम खून पसीने से फसल उगाकर लोगों के लिए अन्न पैदा करते हैं। फिर भी हमारी तरफ प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।