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प्रशासन ने इस जिले को खुले में शौचमुक्त घोषितकर ले लिया अवार्ड, लोगों के घरों में आज तक नहीं बने शौचालय

locationबिजनोरPublished: Sep 05, 2018 06:15:03 pm

Submitted by:

Iftekhar

शौच के लिए जंगल गई गर्भवती महिला के गिरने से हुआ गर्भपात, तो लोगों ने खोला मोर्चा

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प्रशासन ने इस जिले को खुले में शौचमुक्त घोषितकर ले लिया अवार्ड, लोगों के घरों में आज तक नहीं बने शौचालय

बिजनौर. खुले में शौच मुक्त का नारा देने वाली सरकार के नुमाइंदे ही सरकार की हितकारी योजना पर पलीता लगाते नजर आ रहे हैं। यही वजह है की तमाम कोशिशों के बावजूद भी स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत घरो में शौचालय न होने की वजह से महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग आज भी जंगल में शौच के लिए जाने को मजबूर हैं। शौचालय न बनने होने के कारण जनपद बिजनौर के एक गांव में शौच के लिए जंगल गई 8 माह की गर्भवती महिला का पैर फिसलने के कारण महिला का जंगल में ही गर्भपात हो गया। इस घटना में महिला के बच्चे की कुछ समय के बाद मौत हो गई । इस मौत के बाद गांव के लोगों में भारी आक्रोश व्याप्त है। इस घटना से गुस्साए लोगों ने घरों में शौचालय बनाने की मांग को लेकर अपने बच्चों को स्कूल भेजने से रोक दिया है।

केंद्र सरकार भले ही स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत हर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनाने की कवायद में जुटी हो, लेकिन यूपी के बिजनौर जिले के कुम्हारपुरा गांव के सैंकड़ों लोग आज भी जंगल में शौच करने को मजबूर हैं। गुस्साए इलाके के लोगों ने ग्रामप्रधान के खिलाफ पंचायत कर अपने बच्चों को स्कूल न भेजने का फरमान सुनाया है। क्षेत्र के सरकारी स्कूल की टीचर शुक्ला रानी ने माना कि घरों में शौचालय न होने की वजह से बच्चों के परिवार वाले बच्चों को स्कूल नहीं भेज रहे हैं, जिस वजह से स्कूल सुना पड़ा हुआ है।

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गौरतलब है कि सालभर पहले ही डीएम ने कागजों में जिले को शोचमुक्त दिखाकर केन्द्र सरकार से अवार्ड ले लिया था। लेकिन, बिजनौर के कुम्हारपुरा गाँव में आज भी लोग अपने घरों में शौचालय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सौ से ज्यादा घरों में अभी तक शौचालय नहीं बना है। इसकी वजह से इस गांव की निवासी एक गर्भवती महिला के शौच के लिए जंगल जाने के दौरान जंगल में ही गर्भपात हो गया। इस दौरान नवजात बच्चे ने कुछ देर के बाद दम तोड़ दिया। बिस्तर पर पड़ी महिला अपने बच्चे को खोकर बेहद परेशान हैं। प्रधान पति धर्मवीर सिंह के मुताबिक 5 हजार की आबादी वाले गांव में महज 172 ही शौचालय बने हैं, जबकि कई घर अब भी शौचालय बनने से महरूम है।

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