
Chandrashekhar Azad Letter: उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव से पहले नगीना सांसद चंद्र शेखर आजाद ने एससी-एसटी के प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाकर यूपी की सियासत में नया रंग घोल दिया है। माना जा रहा है कि उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी के परंपरागत वोटबैंक में सेंध लगाकर नगीना सांसद ने आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) को बढ़त दिलाने की तैयारी कर ली है। इसी के तहत आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र लिखकर अपर मुख्य सचिव से लेकर थानेदार तक के पदों पर दलित अफसरों की तैनाती का हिसाब मांगकर भाजपा सरकार की घेराबंदी की है।
उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद और आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर ने नियुक्ति विभाग, गृह विभाग और डीजीपी को भी इस पत्र की एक-एक प्रति भेजी है। इसमें उन्होंने दलितों के साथ होने वाले भेदभाव और अन्याय का जिक्र किया है। नगीना सांसद चंद्रशेखर ने पत्र के माध्यम से पूछा है "उत्तर प्रदेश के विभिन्न विभागों में कितने अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव और सचिव एससी-एसटी वर्ग के हैं? नगीना सांसद चंद्रशेखर ने दूसरा सवाल ये पूछा कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के कितने डीएम, एडीएम तैनात हैं। उनका तीसरा सवाल ये है कि उत्तर प्रदेश के 18 मंडलों में कितने कमिश्नर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के हैं।
जबकि चौथे सवाल में उन्होंने पूछा कि यूपी के कितने जिलों में एसएसपी और एसपी एससी-एसटी वर्गों के हैं। पांचवें सवाल में उन्होंने पूछा है कि प्रदेश के किस जोन में एडीजी, आईजी और डीआईजी एससी-एसटी वर्ग के हैं और ये किस जोन में तैनात हैं। छठे सवाल में उन्होंने पूछा कि प्रदेश के कितने पुलिस महानिदेशक यानी डीजी और कितने अपर पुलिस महानिदेशक यानी एडीजी एससी-एसटी वर्ग के हैं। सातवें और आखिरी सवाल में उन्होंने पूछा कि प्रदेश के 75 जिलों में कोतवाली और थानों में कितने प्रभारी निरीक्षक एससी-एसटी वर्ग के हैं। उन्होंने इन सारे सवालों के जवाब भी यथाशीघ्र देने का अनुरोध किया है।
उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद चंद्रशेखर ने अपने पत्र के हवाले से बताया कि यूपी में एससी-एसटी की 22 फीसदी आबादी है। उनका आरोप है कि प्रदेश में एससी-एसटी वर्ग के लोगों के साथ अन्याय और अत्याचार हो रहा है। उन्हें थाने से न्याय नहीं मिल रहा। थानेदार उन्हें भगा देते हैं।
चंद्रशेखर का आरोप है कि प्रदेश के थानों में एससी-एसटी वर्ग के लोगों का मुकदमा नहीं लिखा जाता है। कई बार दबाव में मुकदमा लिखा भी जाता है तो उनकी तहरीर बदल दी जाती है। चंद्रशेखर ने बीते दिनों लखनऊ में पुलिस हिरासत में दलित युवक की मौत के बाद परिजनों से मुलाकात भी की थी जबकि बसपा का कोई भी कद्दावर नेता मिलने नहीं गया था।
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Updated on:
04 Nov 2024 01:11 pm
Published on:
02 Nov 2024 06:32 pm
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