वैसे तो परिवारवाद को बढ़ावा देने के मामले में कोई दल पीछे नहीं है। लेकिन समाजवादी पार्टी की कमान
अखिलेश यादव के हाथ में आने के बाद से उम्मीद की जा रही थी कि अखिलेश परिवारवाद का टैग हटाने की कोशिश करेंगे। लेकिन यह उम्मीद अब धूमिल होती नजर आ रही है। साथ ही जिले में सभी सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट देना साबित करता है कि सपा धर्म के आधार पर राजनीति करना जारी रखेगी।
सपा प्रत्याशी राशिद हुसैन ने रविवार को नामंकन कराया। बिजनौर जिले में पहले चरण में 22 नवंबर को मतदान होगा। सोमवार नामांकन का आखिरी दिन है। राशिद ने बताया कि हमारी टक्कर भाजपा प्रत्याशी से है। हम विकास के मुद्दे पर जनता से वोट मांगेंगे जबकि बीजेपी प्रत्याशी झूठ बोलकर जनता के बीच वोट मांगते हैं।
उधर जिले के नजीबाबाद क्षेत्र में चुनाव को लेकर सपा कार्यकर्ताओं चलरही गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। दरअसल नजीबाबाद नगर पालिका से सपा कार्यकर्ता हाजी फैसल को टिकट न मिलने से उनके समर्थक नाराज हैं। समर्थकों ने नजीबाबाद विधायक हाजी तस्लीम अहमद पर टिकट कटवाने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया।
दावेदार हाजी फैसल की माने तो सपा विधायक पहले उन्हें ही सपा का टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन ऐन वक्त पर भविष्य में अपना कद घटने की आशंका के चलते टिकट कटवाकर पूर्व चेयरमैन मौअज्जम खान की पत्नी को दिला दिया। जनपद में नगर निकाय चुनाव के वक्त सपा के युवाओं की इस हरकत ने पार्टी के अंदर ही अंदर पनप रही गुटबाजी की पोल खोलकर रख दी है। अब देखना यह है कि निकाय चुनाव तक सपा के युवा आगे क्या-क्या गुल खिलाते हैं।