दरअसल सपा से पूर्व विधायक रुचि वीरा का जिले की राजनीति में बड़ा नाम है। सपा में रुचि वीरा को पूर्व मंत्री आजम खां का वरद हस्त प्राप्त था। आलम ये था कि विरोधी नेता भी रुचि वीरा का लोहा मानने लगे थे। विरोधियों को रुचि वीरा ने कई बार पटकनी दी। अपने पति उदयन वीरा को जिला पंचायत के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ाने के लिए रुचि वीरा बगावत पर उतर आईं थी। सपा के तमाम दिग्गज नेताओं के एक साथ होने के बाद भी उन्होंने अपने पति को जिला पंचायत का अध्यक्ष बना डाला था। रुचि वीरा की नजर लोकसभा चुनाव पर थी। लेकिन सपा से टिकट मिलना मुश्किल लग रहा था। ऐसे में गठबंधन की आहट को भांपते हुए बसपा में शामल हो गईं।
वहीं रुचि वीरा के बसपा में शामिल होने का इकबाल ठेकेदार समेत कई स्थानीय बसपा नेताओं ने विरोध भी किया। आलम ये रहा कि बसपा सुप्रीमों ने इकबाल ठेकेदार और कई नेताओं को निष्कासित कर दिया। लेकिन उसके बावजूद कई नेताओं ने रुचि वीरा का टिकट कटवाने के लिए सक्रिय हो गए। वहीं सूत्रों के मुताबिक, बसपा में लोकसभा टिकट के दावेदारों ने रुचि वीरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इतना ही नहीं रुचि वीरा का टिकट कटवाने के लिए बसपा के ही नहीं सपा के भी विरोधी नेता सक्रिय हो गए। इन नेताओं ने बसपा के विरोधी नेताओं से हाथ मिला लिया और उनकी हर संभव मदद कर रहे हैं। सपा के विरोधी नेता नहीं चाहते कि रुचि वीरा लोकसभा चुनाव लड़ें। वह रुचि वीरा से अपनी पुरानी राजनीतिक दुश्मनी का बदला लेना चाहते हैं।
इसके अलावा रुचि वीरा के खिलाफ उनके विरोधी नेताओं ने मृतक ब्रह्मपाल की पत्नी बीडीसी सदस्य सरोज देवी परिवार के साथ विकास भवन में धरने पर बैठा दिया। आरोप लगाया कि उसके पति की हत्या में रुचि वीरा का हाथ है। सरोज देवी के घर पर हमला बोलने के मामले में रुचि वीरा व उनके समर्थकों के खिलाफ दर्ज कराई रिपोर्ट में कार्रवाई करने की मांग की। यह मामला बसपा हाईकमान के दरबार में पहुंचा तो रुचि वीरा को बसपा के बिजनौर लोकसभा पद से हटा दिया गया। कहा गया कि जब तक ब्रह्मपाल प्रकरण में जांच पूरी नहीं होती तब तक बिजनौर लोकसभा का कोई भी प्रभारी नहीं रहेगा।