script

राज के काज : सरकारी मुलाजिमों ने दी, देहात अध्यक्ष को हाजरी

locationबीकानेरPublished: Nov 10, 2017 08:36:23 am

दीनदयाल उपाध्याय कबड्डी प्रतियोगिता में 22 शारीरिक शिक्षकों की ड्यूटी, शिक्षा विभाग के तुगलकी आदेश

Kabaddi Competition
काले कानून के बादल अभी छंटे भी नहीं कि शिक्षा विभाग के एक तुगलकी आदेश ने सरकारी मुलाजिमों को चिंता में डाल दिया है। विभाग का एक आदेश इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।बने भी क्यूं नहीं, इसमें जिले के 22 सरकारी शारीरिक शिक्षकों को भारतीय जनता पार्टी देहात जिला अध्यक्ष सहीराम दुसाद को उपस्थिति देने के आदेश जो किए गए हैं।
अब तक राजनैतिक पार्टियों के जनप्रतिनिधियों का सरकारी मुलाजिमों के काम-काज में सीधा हस्तक्षेप नहीं हुआ करता था, लेकिन शिक्षा विभाग की ओर से जारी लिखित आदेश ने सरकारी मुलाजिमों को चिंता में डाल दिया है। उधर कांग्रेस इस मुद्दे को भुनाने की तैयारी में जुट गई है।
भाजपा पंडित दीनदयाल उपाध्याय कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। 4 से 6 नवम्बर तक उसने बूथ स्तर पर प्रतियोगिताएं करवाई थी, लेकिन अब 8 से 11 नवम्बर तक जिला स्तर पर प्रतियोगिताएं सम्पन्न होनी हैं। बताया जाता है कि इसके लिए देहात जिलाध्यक्ष ने जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर प्रतियोगिता के सफल आयोजन को लेकर शारीरिक शिक्षक मांगे थे।
इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक शिक्षा) ने सभी संस्था प्रधानों को निर्देशित करते हुए लिखा कि ‘संबंधित संस्था प्रधान को निर्देशित किया जाता है कि अपने अधीनस्थ शारीरिक शिक्षकों को ९ नवम्बर तक भारतीय जनता पार्टी के देहात जिलाध्यक्ष सहीराम दुसाद को उपस्थिति देने हेतु पाबंद करें’।
होनी चाहिए कार्रवाई
सामंतवादी विचारधारा की सरकार सरकारी मुलाजिम किसी पार्टी से बंधा नहीं हो सकता। वह सरकारी उच्चाधिकारियों को उपस्थिति दे सकता है, लेकिन किसी पार्टी से जुड़े जनप्रतिनिधि को नहीं। इस प्रकार के आदेश जारी करने वाले शिक्षा अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। इस प्रकार के आदेश से जाहिर होता है कि भाजपा आज भी सामंतवादी विचारधारा के तहत सरकारी मुलाजिमों को अपने अण्डर में रखना चाहती है।
– महेन्द्र गहलोत, देहात अध्यक्ष कांग्रेस
मेरी जानकारी में नहीं
राजनैतिक पार्टी में शारीरिक शिक्षकों की ड्यूटी लगाने से जुड़ा प्रकरण मेरी जानकारी में नहीं है। मैनें इस प्रकार के आदेश पर हस्ताक्षर भी नहीं किए हैं। प्रकरण से जुड़े मूल आदेश को देखे बिना मैं कुछ कहने में असमर्थ हूं।
दयाशंकर, जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा

ट्रेंडिंग वीडियो