कावनी और रणधीसर जिप्सम खान बीकानेर शहर से 31 और 34 किलोमीट दूरी पर है। कावनी की खान वर्ष 1966 से संचालित है। भरूं खान बीकानेर शहर से 28 किलोमीटर की दूरी पर पूगल रोड पर स्थित है। इन खानों में उपलब्ध प्राकृतिक जिप्सम की शुद्धता करीब 70 प्रतिशत है लेकिन, यह दोनों सरकारी खानें है। इन पर राजस्थान स्टेट माइन्स एंड मिनरल्स (आरएसएमएस) का नियंत्रण है।
जिले के पूगल, दंतौर, खाजूवाला, बज्जू के पास चक12 बीएलडी में, रावला, बज्जू से दंतौर रोड पर चक 19 एमजीडब्ल्यूएम, मगनेवाला, भरू, बज्जू के 26 एमजीडब्ल्यूएम, भूरासर की रोही, कुम्हारवाला डेर, लारेवाला डेर, बज्जू के चक सात एमजेएम, तंवरवाला, नसूमा डेर, पूगल आदि क्षेत्रों में अवैध खनन होता है। जिप्सम माफिया बड़ी-बड़ी मशीनें, जेसीबी, एलएनटी का उपयोग कर जिप्सम का अवैध खनन करते हैं।
जिप्सम एक खनिज है। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह कैल्सियम का सल्फेट है, जिसमें जल के भी दो अणु रहते हैं। अमोनियम सल्फेट रासायनिक उर्वरक, सीमेण्ट, गन्धक आदि के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले खनिज जिप्सम की प्राप्ति कैल्शियम सल्फेट के रूप में भूमियों एवं शुष्क क्षेत्रों में अवसादी चट्टानों से होती है। पीओपी और अन्य सामान बनाने में इसका लगातार उपयोग और मांग बढ़ रही है। यह पानी के सम्पर्क में आने के बाद अतिशीघ्र ठोस रूप में आ जाता है।
एक एलएनटी की कीमत लगभग एक करोड़ रुपए है। जेसीबी और डम्पर 25 से 30 लाख रुपए में आते हैं। हैरानी की बात यह है कि जेसीबी, डम्पर और ट्रक पकड़े जाते हैं। कई बार एलएनटी भी पकड़ी गई लेकिन, मालिक कभी भी इन्हें छुड़वाते नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिप्सम के इस धंधे में कितनी कमाई है। यही वजह है कि पुलिस, प्रशासन, खान एवं भूविज्ञान विभाग ने भी आंखों पर पट्टी बांध रखी है।