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28 साल में पनपा है सफेद सोने का काला कारोबार, सरकार ने माफिया पर लगाम के लिए नहीं उठाए ठोस कदम

locationबीकानेरPublished: Sep 10, 2017 08:01:00 am

Submitted by:

dinesh kumar swami

 सोने का काला कारोबार पनपाने में प्रशासनिक लापरवाही के साथ राजनीतिक संरक्षण और खासकर पुलिस की भूमिका रही है।

Illegal gypsum

अवैध जिप्सम

बीकानेर. जिले में जिप्सम के अवैध खनन का कारोबार 28 साल के दौरान ही पनपा है। इसे पनपाने में प्रशासनिक लापरवाही के साथ राजनीतिक संरक्षण और खासकर पुलिस की भूमिका रही है। थोड़े-थोड़े अंतराल पर माफिया और पुलिस तथा नेताओं का गठजोड़ भी उजागर होता रहता है। साल 1990 तक जिप्सम की ज्यादा मांग और कारोबार नहीं पनपा था।
इसके बाद जैसे-जैसे मांग बढ़ी जिप्सम खनन और पकाने की भ_ियों की संख्या भी बढ़ती गई। इस दौरान सरकार के स्तर पर जिप्सम माफिया पर नकेल डालने के कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। हालात इस कदर हो गए कि ज्यादा कारोबार वाले ग्रामीण थानों में पोस्टिंग के लिए तो मंत्रियों और बड़े अफसरों का हस्तक्षेप तक होने लगा है।
केवल दो ही सरकारी खान
कावनी और रणधीसर जिप्सम खान बीकानेर शहर से 31 और 34 किलोमीट दूरी पर है। कावनी की खान वर्ष 1966 से संचालित है। भरूं खान बीकानेर शहर से 28 किलोमीटर की दूरी पर पूगल रोड पर स्थित है। इन खानों में उपलब्ध प्राकृतिक जिप्सम की शुद्धता करीब 70 प्रतिशत है लेकिन, यह दोनों सरकारी खानें है। इन पर राजस्थान स्टेट माइन्स एंड मिनरल्स (आरएसएमएस) का नियंत्रण है।
यहां अवैध की भरमार
जिले के पूगल, दंतौर, खाजूवाला, बज्जू के पास चक12 बीएलडी में, रावला, बज्जू से दंतौर रोड पर चक 19 एमजीडब्ल्यूएम, मगनेवाला, भरू, बज्जू के 26 एमजीडब्ल्यूएम, भूरासर की रोही, कुम्हारवाला डेर, लारेवाला डेर, बज्जू के चक सात एमजेएम, तंवरवाला, नसूमा डेर, पूगल आदि क्षेत्रों में अवैध खनन होता है। जिप्सम माफिया बड़ी-बड़ी मशीनें, जेसीबी, एलएनटी का उपयोग कर जिप्सम का अवैध खनन करते हैं।
लगातार बढ़ रहा उपयोग व मांग
जिप्सम एक खनिज है। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह कैल्सियम का सल्फेट है, जिसमें जल के भी दो अणु रहते हैं। अमोनियम सल्फेट रासायनिक उर्वरक, सीमेण्ट, गन्धक आदि के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले खनिज जिप्सम की प्राप्ति कैल्शियम सल्फेट के रूप में भूमियों एवं शुष्क क्षेत्रों में अवसादी चट्टानों से होती है। पीओपी और अन्य सामान बनाने में इसका लगातार उपयोग और मांग बढ़ रही है। यह पानी के सम्पर्क में आने के बाद अतिशीघ्र ठोस रूप में आ जाता है।
कमाई का अंदाजा ही नहीं
एक एलएनटी की कीमत लगभग एक करोड़ रुपए है। जेसीबी और डम्पर 25 से 30 लाख रुपए में आते हैं। हैरानी की बात यह है कि जेसीबी, डम्पर और ट्रक पकड़े जाते हैं। कई बार एलएनटी भी पकड़ी गई लेकिन, मालिक कभी भी इन्हें छुड़वाते नहीं है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिप्सम के इस धंधे में कितनी कमाई है। यही वजह है कि पुलिस, प्रशासन, खान एवं भूविज्ञान विभाग ने भी आंखों पर पट्टी बांध रखी है।
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