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राजस्थानी भाषा की मान्यता को रहे समर्पित ‘डॉ. करणी सिंह’

locationबीकानेरPublished: Sep 07, 2018 08:59:06 am

Submitted by:

dinesh kumar swami

बीकानेर स्थित नाल हवाई अड्डे का नाम डॉ. करणी सिंह एयरपोर्ट रखा जाए। यह बात गुरुवार को लालगढ़ होटल पैलेस में डॉ. करणी की ३०वीं पुण्यतिथि पर आयोजित व्याख्यान में उभर कर सामने आई।

30th death anniversary

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बीकानेर. बीकानेर स्थित नाल हवाई अड्डे का नाम डॉ. करणी सिंह एयरपोर्ट रखा जाए। यह बात गुरुवार को लालगढ़ होटल पैलेस में डॉ. करणी की ३०वीं पुण्यतिथि पर आयोजित व्याख्यान में उभर कर सामने आई। इस दौरान वक्ताओं ने करणी सिंह के पांच बार वल्र्ड ओलम्पिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने,
पांच बार वल्र्ड शूटिंग चैम्पियन तथा वल्र्डस वाइस घोषित होने, २५ वर्षों तक सांसद रहने, राजस्थानी भाषा की मान्यता जैसे मुद्दों के अलावा जनकल्याण कार्य और जनता के प्रति संवेदनशीलता बतरतने को लेकर भूरि-भूरि प्रशंसा की। पुण्य तिथि पर पूर्व राजपरिवार के सदस्यों, मेहमानों ने डॉ. करणी सिंह को पुष्पाजंलि अर्पित की। इस मौके पर वैदिक ऋचाओं का स्वस्तिक वाचन किया गया। वहीं डॉ. करणी सिंह के जीवनवृत की स्लाइड दिखाई गई।
समारोह में मुख्यवक्ता रहे डॉ. रीमा हूजा ने डॉ. करणी सिंह के व्यक्तित्व का विश्लेषण प्रस्तुत किया। इसमें जनप्रतिनिधि के रूप मे उनकी भूमिका के साथ बीकानेर और राष्ट्रीय विकास में उनकी संवेदनशीलता को उकेरा। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी डॉ. करणी सिंह की संवेदना, सृजनात्मकता को तथ्य सहित प्रस्तुत किया।
एशिया एवं विश्व में कई पदक दिलाने, निशानेबाजी में भारत का प्रतिनिधित्व करने, राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के प्रयासों का जिक्र किया गया। व्याख्यान मे डॉ. हूजा ने राजपरिवार की ऐतिहासिक, राजनीति पृष्ष्ठभूमि, जनकल्याण के योगदान को भी प्रतिपादित किया।
राजपरिवार के दोहिते डॉ. सज्जन सिंह गोहिल ने नानिहाल में बीते बचपन की संवेदना को उकेरा। डॉ. करणी सिंह के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि नाल हवाई आड्डे का नाम डॉ. करणी सिंह एयरपोर्ट रखा जाए। महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट की अध्यक्ष प्रिंसेस राज्यश्री कुमारी ने महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट की ओर से किए कार्यों की जानकारी दी। देश विदेश में संग्रहालय, मूर्तियां, ट्रस्टों का विवरण रखा। एडवोकेट सुरेन्द्र शर्मा ने राजपरिवार की ओर से संचालित संस्कृत कॉलेज व ब्रह्यचर्य आश्रम की जानकारी संस्कृत में रखी। संचालन ज्योति रंगा ने किया।

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