script34 दिन काल कोठरी में भूखे रहकर झुकाया था ब्रितानिया सरकार को | 34 Days Hunger Strike Put British Government On There Knee | Patrika News
बीकानेर

34 दिन काल कोठरी में भूखे रहकर झुकाया था ब्रितानिया सरकार को

ऐसी ही तमाम कहानियां राजस्थान से भी जुड़ी हुई हैं, जिसकी माटी से निकले सपूतों ने अपनी जान हथेली पर रख कर अंग्रेजों से लोहा लिया। ऐसे ही एक थे स्वतंत्रता सेनानी किशनगोपाल सेवग, जिन्हें लोग गुटड़ महाराज के रूप में भी जानते हैं।

बीकानेरJan 23, 2022 / 01:27 am

Brijesh Singh

34 दिन काल कोठरी में भूखे रहकर झुकाया था ब्रितानिया सरकार को

34 दिन काल कोठरी में भूखे रहकर झुकाया था ब्रितानिया सरकार को

बीकानेर. देश में स्वतंत्रता संग्राम में वीरों के बलिदान और स्वतंत्रता सेनानियों की अनेकों कहानियां प्रचलित हैं, जो हमें न सिर्फ देश के गर्वीले इतिहास से परिचित कराती हैं, साथ ही नई पीढ़ी को भी यह संदेश और प्रेरणा देती हैं कि किस तरह हमारे पूर्वजों ने कितने जतन करके हमें आजादी दिलाई। ऐसे ही योद्धाओं की देन है, जो आज हम और हमारी आने वाली पीढ़ी आजाद भारत की खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। ऐसी ही तमाम कहानियां राजस्थान से भी जुड़ी हुई हैं, जिसकी माटी से निकले सपूतों ने अपनी जान हथेली पर रख कर अंग्रेजों से लोहा लिया। ऐसे ही एक थे स्वतंत्रता सेनानी किशनगोपाल सेवग, जिन्हें लोग गुटड़ महाराज के रूप में भी जानते हैं।

इस तरह से किया उनके बलिदान को स्मरण

स्वतंत्रता सेनानी किशनगोपाल सेवग ‘गुटड़ महाराज’ की शनिवार को पुण्यतिथि मनाई गई। पड़पौत्र जितेन्द्र शर्मा ने बताया कि भुजिया बाजार स्थित श्रीकिशन गोपाल सेवग गुटड़ महाराज मार्ग पर श्रद्धांजलि सभा आयोजित कर स्वतंत्रता के लिए दिए गए बलिदान का स्मरण किया गया। शिक्षाविद् राजेश रंगा, कांग्रेस नेता राजेश भोजक व राजा शर्मा ने पुष्पांजलि अर्पित की। साथ ही श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए कई ऐतिहासिक तथ्यों को भी उदृत किया।

झंडा सत्याग्रह में हुई थी गिरफ्तार

इतिहास में उल्लेखित व पारिवारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 1942 के दिसम्बर माह में झंडा सत्याग्रह के दौरान गुटड़ महाराज को गिरफ्तार किया गया तथा उन्हें नौ माह की सजा दी गई। इस दौरान राजबंदियों के साथ अपमानजनक व्यवहार के चलते उन्होंने अनिश्चितकाल के लिए भूख हड़ताल प्रारंभ कर दी। इस पर गुटड़ महाराज को काल कोठरी में बंद कर दिया गया, जहां 34 दिन तक वे भूखे रहे और अंत में सरकार ने हार मानी तथा गुटड़ महाराज की सभी शर्तों को स्वीकारा।

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