सभा में मौजूद सदस्यों ने अधिवक्ता गोवर्धन सिंह परिहार के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों पर गंभीरता से मंथन करते हुए उन्हें उचित निस्तारण के लिए अनुशासन समिति को भेजे जाने का निर्णय लिया। यह भी फैसला लिया गया कि जब तक अनुशासन समिति प्राप्त शिकायतों का निस्तारण नहीं कर लेती, तब तक परिहार को किसी भी न्यायालय एवं ट्रिब्यूनल आदि में वकालत के लिए निषिद्ध किया जाए।
बैठक में यह तथ्य सामने आया कि परिहार ने बार कौंसिल में अधिवक्ता के रूप में पंजीयन के समय आपराधिक प्रकरणों के लंबित होने की जानकारी को छिपाया था। ऐसे में यह मामला बार कौंसिल ऑफ राजस्थान की पंजीयन समिति को जांच एवं उचित निर्णय लेने के लिए प्रेषित किया गया।यह भी फैसला लिया गया कि जब तक पंजीयन समिति मामले की जांच एवं निर्णय नहीं कर लेती, तब तक परिहार को किसी भी न्यायालय एवं ट्रिब्यूनल आदि में वकालत करने के लिए निषिद्ध किया जाए। इसी तरह साधारण सभा ने अधिवक्ता तेजप्रताप सिंह, अशोक कुमार शर्मा व मिनार्क जैन के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों पर विचार विमर्श करते हुए जांच के लिए अनुशासन समिति को भेजा है। यह भी निर्णय लिया गया कि तीनों के विरुद्ध जब तक अनुशासन समिति कोई निर्णय नहीं लेती, तब तक उन्हें किसी भी न्यायालय एवं ट्रिब्यूनल आदि में वकालत करने के लिए निषिद्ध किया जाए।
साधारण सभा ने राजस्व न्यायालयों में कथित भ्रष्टाचार के मद्देनजर विचाराधीन राजस्व प्रकरणों को न्यायिक न्यायालयों में स्थानांतरित किए जाने तथा राजस्व अधिनियमों में आवश्यक संशोधन करने की मांग को लेकर सभी सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलकर उचित कदम उठाने का आग्रह करने का निर्णय लिया।