नाम की नीति
यूं को नीति बनी हुई है, लेकिन वह किसी काम की नहीं है। नीति के अनुसार प्रत्येक जिले में जिम्मेदार स्वच्छता प्राधिकारी की नियुक्ति होनी चाहिए। प्रत्येक नगरपालिका में स्वच्छता रेस्पॉन्स इकाई (एसआरयू) हो। एसआरयू को यंत्रीकृत सफाई के लिए आवश्यक उपकरणों व वाहनों से लैस करना भी इसमें शामिल है। यंत्रीकृत सफाई के लिए व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित जन शक्ति, सीवर और सेप्टिक टैंक के अवरुद्ध होने पर 24 घंटे की हेल्पलाइन जैसी बातें इसमें शामिल हैं।
योजनाएं हैं, लेकिन लाभार्थी कम
सौ फीसदी मशीनरी सफाई को बढ़ावा देने और स्वच्छता कार्यकर्ताओं व उनके आश्रितों को स्थाई आजीविका प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं संचालित है, लेकिन जागरूकता के अभाव में ग्राउंड लेवल तक इनका लाभ नहीं मिल रहा। स्वच्छता उद्यमी योजना के तहत सफाई कर्मचारियों और स्थानीय निकायों को स्वच्छता संबंधी उपकरणों और मशीनों की खरीद के लिए 50 लाख रुपए तक के रियायती ऋण देने का प्रावधान है। लेकिन योजना शुरू होने से अब तक प्रदेश में महज 33 सफाई कर्मचारियों ने इसका लाभ उठाया है। जबकि आंध्रप्रदेश में 1603 कामगारों ने इसकी सहायता ली। वहीं सफाईकर्मियों व उनके आश्रितों को स्वच्छता संबंधी परियोजनाओं के लिए 5 लाख रुपए तक पंूजीगत सब्सिडी प्रदान करने के लिए स्वरोजगार स्कीम को 2020-21 से संशोधित किया गया। इसके तहत राजस्थान में एक भी सफाईकर्मी ने सहायता नहीं ली।