साध्वीश्री ने कहा कि संस्कारों पर ध्यान देना अधिक जरुरी है। उन्होंने कहा कि मानवीय मूल्यों पर आधारित अणुव्रत का दर्शन जीवन के हर पहलू को छूता है। अणुव्रत एक सम्पूर्ण जीवन शैली है। यह एक अहिंसक और संयम प्रधान जीवन शैली है। मुख्य अतिथि जेठानन्द व्यास ने कहा कि विकृतियों से समाज व राष्ट्र कमजोर होता है। अणुव्रत को जीवन में उतारें। संकल्प लेकर काम करें तो सफल होता है।
जैन लूणकरन छाजेड़ ने कहा कि जीवन में व्रत और संकल्प जरुरी है। स्वयं पर शासन करें तो अनुशासन अपने आप हो जाएगा। इस अवसर पर इन्द्र चंद सेठिया, झंवर लाल गोलछा, धर्मचन्द जैन, पारसमल छाजेड़, सुरजाराम राजपुरोहित ने विचार रखे। इससे पहले नवकार मंत्र से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। अणुव्रत गीत का गायन किया गया।