जाप, ध्यान और अर्हत वंदनाआचार्य महाश्रमण की दैनिक दिनचर्या रोज सुबह 4 बजे से प्रारंभ होती है। पहले एक घंटा जाप, ध्यान होता है। सामूहिक अर्हत वंदना और प्रतिक्रमण होता है। सूर्याेदय के बाद गुरुदेव का विहार प्रारंभ होता है। सामान्यतया प्रतिदिन 15 से 18 किमी का विहार होता है। कभी-कभी विहार मार्ग इससे कुछ कम भी रहता है। विहार के बाद निश्चित स्थल पहुंचने के बाद नाश्ता और प्रवचन होता है। गुरुदेव आमजन से मुलाकात करते हैं।
साहित्य सृजन, संतो की कक्षाएं
आचार्य महाश्रमण विहार और प्रवास के दौरान साहित्य सृजन, प्राचीन साहित्य अध्ययन और संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देते हैं। गुरुदेव प्रतिदिन शाम तीन से चार बजे तक आमजन से मुलाकात करते हैं। गुरुदेव का शाम चार बजे से शाम सात बजे तक गृहस्थों के लिए मौन रहता है। इस दौरान वे साधु-साध्वियों से वार्ता करते हैं। इस दौरान साहित्य सृजन, संतो की कक्षाएं लेते है व भोजन करते हैं। सूर्यास्त के बाद सामूहिक गुरु वंदना, प्रतिक्रमण और अर्हत वंदना होती है। ध्यान व जाप होता है। कुछ समय जनता से भी मिलते हैं। रात्रि लगभग 10 बजे शयन विश्राम करते हैं व अगले दिन सुबह 4 बजे से फिर से दैनिक दिनचर्या प्रारंभ हो जाती है।