एमजीएसयू और राजस्थान कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से आयोजित होने वाले रम्मत महोत्सव के दौरान प्रतिदिन शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक रम्मतों का मंचन होगा। तीन दिनों में ११ रम्मतों का मंचन होगा। प्रत्येक रम्मत का मंचन एक-एक घंटे का होगा। रविवार को सर्किट हाउस में रम्मत महोत्सव के पोस्टर का लोकार्पण राज्य के कला, साहित्य एवं संस्कृति विभाग मंत्री डॉ. बी डी कल्ला, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विनोद कुमार, कुल सचिव संजय धवन, परीक्षा नियंत्रक जी एस खींचड़, उप कुल सचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा ने किया। महोत्सव प्रबंधक लोक कलाकार गोपाल बिस्सा उपस्थित रहे।
रम्मतें लोक संस्कृति का अहम हिस्सा
ऊर्जा मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ने कहा कि लोक संस्कृति किसी भी स्थान विश्व को वैश्विक पटल पर अलग पहचान दिलाती है। बीकानेर की संस्कृति भी अनूठी लोक कलाओं को समेटे हुए है। लोकनाट्य रम्मतें हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। कुलपति विनोद कुमार ने कहा कि बीकानेर की रम्मतें यहां की सबल परंपरा रही है। ऐसी परंपराओं को संरक्षित करने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से यह अनूठी पहल की गई है। विवि के परिसर में एक रम्मत पार्क बनाया गया है।
इन रम्मतों का होगा मंचन
महोत्सव के दौरान अमर सिंह राठौड़, हेड़ाऊ मेहरी, भक्त पूरनमल, नौटंकी शहजादी और स्वांग मेहरी रम्मतों का मंचनन होगा। इन रम्मतों का मंचन हर साल होलाष्टक में आचार्य चौक, बिस्सा चौक, बारह गुवाड़ चौक, कीकाणी व्यास चौक, भट्ठड़ो का चौक, नत्थूसर गेट के अंदर होता है। शीतलाष्टमी के दिन सोनारो की गुवाड़ और दर्जियों की गुवाड लक्ष्मीनाथ घाटी में भी रम्मतों का मंचन होता है।