अब वे लोग वहां फंस गए हैं। वापस अपने घर नहीं आ पाने के कारण आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। कई लोगों की हालत तो यह है कि उन्होंने अपने रिश्तेदारें के यहां शरण ले रखी है। जिले के करीब २७२ लोग ऐसे है जो अभी दूसरे जिलों या राज्यों में फंसे हुए हैं। गंगाशहर का रामकुमार २१ मार्च को अपनी बेटी के ससुराल नामकरण कार्यक्रम में गया था लेकिन २२ मार्च को जनता कफ्र्यू और अब लॉकडाउन चल रहा है। अब क्या करें समझ नहीं आ रहा। घर वापसी का जुगाड़ नहीं हो रहा। घर में पत्नी व दो बेटियां अकेली रह रही है। मजबूरी पेशा वाले परिवार से होने के कारण आर्थिक संकट गहरा गया है। हालात यह है कि बाजार से सामान लाकर देने वाला कोई नहीं है।
जयपुर में फंसे दो भाई
निजी कंपनी में काम करने वाले राजू और महेश (काल्पनिक नाम) घरेलू कार्य से जयपुर गए थे, अब वे वहां अटक गए हैं। राजू बताता है कि उसकी पत्नी व दो बच्चे घर में अकेले हैं। सरकार ने पहले ३१ मार्च तक का और बाद में १४ अप्रेल तक का लॉकडाउन कर दिया। ऐसे में अब इतने दिन परिवार से दूर रहना मुश्किल हो गया है। जयपुर में बमुश्किल खाने-पीने की व्यवस्था कर पा रहे हैं।
निजी कंपनी में काम करने वाले राजू और महेश (काल्पनिक नाम) घरेलू कार्य से जयपुर गए थे, अब वे वहां अटक गए हैं। राजू बताता है कि उसकी पत्नी व दो बच्चे घर में अकेले हैं। सरकार ने पहले ३१ मार्च तक का और बाद में १४ अप्रेल तक का लॉकडाउन कर दिया। ऐसे में अब इतने दिन परिवार से दूर रहना मुश्किल हो गया है। जयपुर में बमुश्किल खाने-पीने की व्यवस्था कर पा रहे हैं।
बेटे के चोट लगी, जाऊं कैसे
सुरेश प्रसाद महतो बीकानेर में एक बैंक में कार्यरत हैं, उनका परिवार दिल्ली में रहता है। महतो का बेटा दो दिन पहले घर में गिर गया, जिससे उसके सिर में चोटें लगी है। पत्नी का फोन आने के बाद से यहां मन नहीं लग रहा। दिल्ली जाना चाहते हैँ लेकिन व्यवस्था नहीं हो रही।
सुरेश प्रसाद महतो बीकानेर में एक बैंक में कार्यरत हैं, उनका परिवार दिल्ली में रहता है। महतो का बेटा दो दिन पहले घर में गिर गया, जिससे उसके सिर में चोटें लगी है। पत्नी का फोन आने के बाद से यहां मन नहीं लग रहा। दिल्ली जाना चाहते हैँ लेकिन व्यवस्था नहीं हो रही।
ननिहाल में फंसी विवाहिता
कानासर निवासी रामेश्वर यादव की बेटी प्रियंका ससुराल खेतड़ी से बीकानेर आई हुई थी। पांच दिन पहले वह गांव से मामा-मामी से मिलने सूरतगढ़ चली गई। अब वह वापस बीकानेर नहीं आ पा रही है। उसके साथ उसका बेटा भी है। ससुराल जाना जरूरी है लेकिन लॉकडाउन के चलते कोई साधन नहीं होने वह वहां फंसी है।
कानासर निवासी रामेश्वर यादव की बेटी प्रियंका ससुराल खेतड़ी से बीकानेर आई हुई थी। पांच दिन पहले वह गांव से मामा-मामी से मिलने सूरतगढ़ चली गई। अब वह वापस बीकानेर नहीं आ पा रही है। उसके साथ उसका बेटा भी है। ससुराल जाना जरूरी है लेकिन लॉकडाउन के चलते कोई साधन नहीं होने वह वहां फंसी है।
२७२ लोग अब भी फंसे
लूणकरनसर से सात, नोखा १३, कोलायत नौ, श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र से ११, देशनोक से तीन, गंगाशहर से सात, जेएनवीसी से नौ, आडसर से दो, बीकानेर के विभिन्न क्षेत्रों से करीब १७५ से अधिक लोग कोई जयपुर, दिल्ली, गुजरात, अहमदाबाद, सूरतगढ़, जोधपुर, अजमेर तो कोई सूरत में फंसा हुआ है।
लूणकरनसर से सात, नोखा १३, कोलायत नौ, श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र से ११, देशनोक से तीन, गंगाशहर से सात, जेएनवीसी से नौ, आडसर से दो, बीकानेर के विभिन्न क्षेत्रों से करीब १७५ से अधिक लोग कोई जयपुर, दिल्ली, गुजरात, अहमदाबाद, सूरतगढ़, जोधपुर, अजमेर तो कोई सूरत में फंसा हुआ है।
प्रशासन की अपील
सीएमएचओ डॉ. बीएल मीणा ने आमजन से अपील की है कि जो जहां है वह वही रहें। यह उनके और उरके परिवार के लिए अच्छा है। कोरोना वायरस के संपर्क में आने से समाज, परिवार, राज्य व देश को खतरा हो सकता है। देश हित में घर पर रहें। वायरस से संक्रमित व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों के लिए घातक हो सकता है।
सीएमएचओ डॉ. बीएल मीणा ने आमजन से अपील की है कि जो जहां है वह वही रहें। यह उनके और उरके परिवार के लिए अच्छा है। कोरोना वायरस के संपर्क में आने से समाज, परिवार, राज्य व देश को खतरा हो सकता है। देश हित में घर पर रहें। वायरस से संक्रमित व्यक्ति सामान्य व्यक्तियों के लिए घातक हो सकता है।