शहर में युवाआें के साथ बच्चे भी पतंग उड़ाने के लिए सुबह ही छतों पर जा डटे। उन्होंने छतों पर लाउड स्पीकर, डीजे पर गीतों के साथ पतंगबाजी का लुत्फ उठाया। लोग फिल्मी गानों और मारवाड़ी गीतों पर झूमते नजर आए। बच्चों में पतंगबाजी को लेकर जबर्दस्त उत्साह रहा।
जब लोग छतों पर पेंच लड़ा रहे थे, तो दूसरी ओर कुछ युवा व बच्चें कटी हुई पतंगों को लूटने में लगे रहे। उन्हें तेज धूप, लू व गर्मी की कोई परवाह नहीं थी।
लू और तेज धूप को दरकिनार कर लोग छतों पर डटे रहे। शाम चार बजे बाद पूरा शहर ही छतों पर नजर आया। सड़कें और मुख्य बाजारों में सन्नाटा रहा।