आखाबीज और आखातीज के दिन शहर में कई स्थानों पर चंदा उड़ाकर खुशियां प्रकट की जाती हैं। चंदा बनाने और उड़ाने के साथ-साथ चंदा पर पारम्परिक दोहे, संवाद लिखने के साथ चित्र बनाने और समसामयिक विषयों से जुड़े संदेश देने की भी अनूठी परम्परा है। हर साल चंदा बनाने वाले कलाकार उन पर चित्र और संदेश भी लिखते हैं। इस बार बीकानेर रियासत में जारी हुए सिक्को की झलक चंदा पर मिलेगी। वहीं महंगाई की मार से जूझ रहे आमजन की पीड़ाओं को भी चंदा पर उकेरा गया है। कई चंदा पर बीकानेर रियासत के राजा महाराजाओं के चित्र, दोहे, संदेश लिखे गए हैं।
कागज से तैयार,डोरी से उड़ते
नगर स्थापना दिवस पर गोलाकार आकृति में चंदा तैयार किए जाते हैं। लगभग चार फीट गोलाकार आकार के इन चंदा को कागज से बनाया जाता है। इन पर सरकंडे की लकड़ी लगाई जाती है। किनारों पर पाग का कपड़ा चिपकाया जाता है। कई चंदा पर बीकानेर रियासत का ध्वज भी प्रतीकात्मक रुप से लगाया जाता है। बड़े आकार के इन चंदा को डोरी की मदद से उड़ाया और छोड़ा जाता है।
संदेश देने की परम्परा
चंदा कलाकार नगर स्थापना दिवस से करीब एक पखवाड़ा पहले ही चंदा बनाने में जुट जाते हैं।
वर्तमान में कलाकार ब्रजेश्वर लाल व्यास, गणेश लाल व्यास, भंवर लाल व्यास, पवन व्यास, कृष्ण चन्द्र पुरोहित, अनिल बोड़ा सहित कई कलाकार वर्षो से चंदा बनाने के साथ उन पर चित्र, दोहे उकेर कर संदेश दे रहे हैं। कलाकारों की ओर से तैयार किए जा रहे चंदा की कलात्मकता देखते ही बनती है। कलाकार गणेश लाल व्यास के अनुसार इस बार चंदा पर बीकानेर रियासत के सिक्कों और मोहरों की झलक प्रदर्शित की गई है। वहीं कृष्ण चन्द्र पुरोहित के अनुसार बढ़ती महंगाई, नारी शक्ति, बाल विवाह रोकथाम आदि के संदेश व चित्र उकेरे गए हैं।