देश का दूसरा शहर देश में सबसे अधिक किसी शहर में टैंक रखे हैं, तो वह है पूना। आर्मी सूत्र बताते हैं कि पूना में 30 टैंक सार्वजनिक स्थलों पर रखे हुए हैं। इसके बाद बीकानेर का नाम आता है। यहां बारह टैंक रखे हुए हैं, जबकि 6 हेवी आर्टीलरी गन सेना और बीएसएफ परिसरों के बाहर रखी हुई हैं।
आठ विजयंत, एक पाकिस्तानी और तीन रूस निर्मित इनमें छह विजयंत टैंक भारतीय सेना के परिसरों के गेटों पर सुसज्जित हैं। जबकि दो विजयंत टैंक शहीद के स्मारक स्थल पर रखे हुए हैं। बीएसएफ के पर्यटक पॉइंट पर दो रूस निर्मित टी-55 टैंक रखे हुए हैं। एक पाकिस्तानी टैंक वॉर ट्रॉफी के रूप में मिला हुआ है। वहीं एक रूस निर्मित टैंक टी-55 सैनिक कल्याण बोर्ड के बाहर रखा हुआ है। इसी तरह छह हेवी आर्टीलरी गन रखे हुए हैं।
1971 के युद्ध में जीता पाक टैंक पब्लिक पार्क में पाकिस्तान आर्मी का टी-59 टैंक रखा हुआ है। जिसे 4 दिसम्बर 1971 को युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने लोंगेवाला पोस्ट पर जीता था। इस पर पाक का उल्टा ध्वज भी छपा है। बाद में भारत सरकार ने वॉर ट्रॉफी के रूप में इस टैंक को बीकानेर जिला प्रशासन को दिया, जिसे पब्लिक पार्क में चबूतरे पर रखा हुआ है। यहां दिनभर लोग इस टैंक पर फोटो खिंचवाते हैं। ऊपर चढ़कर और इसे छूकर देखते हैं। यह दुश्मन को उसकी करतूत याद दिलाने के लिए उल्टा ध्वज बनाकर रखा गया है। यानी उल्टा लटकाने का प्रतीक है।
शहादत के सम्मान में मिला टैंक जयपुर मार्ग पर शहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी सर्किल पर भी एक टैंक रखा हुआ है। यह विजयंत टैंक भारतीय सेना ने कैप्टन की शहादत के सम्मान में मार्च 2020 में स्मृति स्थल पर रखने के लिए दिया। इस टैंक के बगल में वायुसेना का लड़ाकू विमान एचटीपी-32 भी रखा हुआ है।
देश का पहला निजी स्मारक पर रखा टैंक शहीद कैप्टन चन्द्र चौधरी के पैतृक गांव बीगाबास रामसरा में साल 2008 में रखने के लिए विजयंत टैंक दिया गया। यह देश का पहला मामला था, जब किसी निजी स्मारक स्थल पर रखने के लिए भारतीय सेना की ओर से टैंक दिया गया।
छह टैंक आर्मी टीसीपी पर सार्दुल गेट की टीसीपी पर दो विजयंत टैंक रखे हुए हैं। दोनो भारतीय टैंक हैं। ऐसे ही दो टैंक पहले डूंगर कॉलेज के सामने दो एल्फा टीसीपी के गेट पर रखे हुए थे, जिन्हें साल 2008 में रखा गया था। बाद में एल्फा टीसीपी का गेट बंद करने पर अंदर आर्मी के सिनेमा हॉल के सामने रख दिया गया। सिनेमा हॉल का नाम भी अब विजयंत कर दिया गया है। इसी तरह श्रीगंगानगर मार्ग पर बीछवाल टीसीपी गेट के बाहर दो विजयंत टैंक रखे हुए हैं। करीब दस साल पहले इन्हें रखा गया था।
दो चबूतरे बने, मिला एक टैंक सैनिक कल्याण बोर्ड बीकानेर के कार्यालय के बाहर टैंक रखने के दो चबूतरे बने हुए हैं। यहां एक चबूतरे पर फरवरी-2020 में टैंक रखा गया। तत्कालीन सैनिक कल्याण अधिकारी बीके मजूमदार के प्रयासों से यह मिला। दो टैंक मिलने थे, लेकिन अभी एक का इंतजार है।
टूरिस्ट पॉइंट बने टैंक बाहर से आने वाले पर्यटकों की बसें यहां सबसे पहले टैंक पॉइंट पर आकर रुकती हैं। जयपुर रोड से आने वाले पर्यटक सबसे पहले चन्द्र चौधरी सर्किल पर रखे टैंक को देखते हैं। यहां फोटोग्राफी के बाद पब्लिक पार्क वाला टैंक देखने जाते हैं।
सांचू पोस्ट पर दो टैंक इसी साल पर्यटकों के लिए विकसित बॉर्डर की सांचू चैक पोस्ट पर दो टी-55 टैंक रखे गए हैं, जिन्हें पर्यटक देखने जाते हैं। बीकानेर में जयपुर रोड पर बीएसएफ के गेट के सामने दो हाउजर आर्टीलरी गन रखी हुई है। इसी नेशनल हाइवे 11 पर सेना के उच्चाधिकारी आवासों के दो गेट पर दो-दो हेवी आर्टीलरी गन रखी हुई हैं।
बीकानेर के लिए टैंक भी गर्व की बातबीकानेर में संभागीय आयुक्त का पदभार ग्रहण करने के बाद जब यहां कई जगह टैंक रखे नजर आए, तो गर्व महसूस हुआ। सीमावर्ती और सामरिक महत्व का क्षेत्र होने से यहां के लोगों में सेना के यह टैंक देशभक्ति की भावना भी पैदा करते हैं। यह प्रदेश का सबसे ज्यादा और देश का दूसरा सबसे ज्याद टैंक वाला शहर है।
-नीरज के. पवन, संभागीय आयुक्त बीकानेर