हम जिस विषय पर बात कर रहे है, वह दरअसल उन दो कांस्टेबलों की भूमिका को लेकर है, जो यूं तो पुलिस महकमे में ओहदों की फेहरिस्त में शायद भले ही काफी निचले पायदान पर आते हों, लेकिन जिन्होंने अपनी समझदारी और तत्परता से इतने बड़े कांड का न सिर्फ भांडाफोड़ करने में ही मुख्य भूमिका निभाई, बल्कि काले मंसूबों पर टिके जाली नोटों के कारोबार के इस साम्राज्य में पलीता भी लगाने का काम किया।
सिपाहियों की सतर्कता और सूचना, जो आई काम लूणकरनसर थाने में पदस्थापित कांस्टेबल सचित्रवीर गोदारा व जयप्रकाश की सूचना पर आईजी कार्यालय में पद स्थापित डीवाईएसपी नरेन्द्र पूनिया, हेडकांस्टेबल नानूराम गोदारा, कांस्टेबल संदीप कुमार जांदू व रामप्रताप सायच ने नकली नोट छापने के गिरोह की जानकारी जुटाई। यह ऑपरेशन बीकानेर रेंज पुलिस महानिरीक्षक ओमप्रकाश की देखरेख में चला। पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई कर गिरोह के युवकों को पकड़ा। उनके कब्जे से दो करोड़ 74 लाख रुपए के नकली नोट, नोट छापने वाली मशीन, स्याही, प्रिंटर, कटर मशीन, कागज व पनी, आरबीआई बैंक की पर्चियां आदि बरामद की। वहीं बीकानेर पुलिस की सूचना पर दिल्ली से भागे लूणकरनसर निवासी दीपक मोची को करनाल पुलिस ने नाकाबंदी के दौरान पकड़ा।