घड़ों से भरते थे पानी
शहर में कुओं से पानी लाने के दौर के साक्की 95 वर्षीय कन्हैया लाल ओझा बताते है कि कुओं से निकलने वाला पानी ही एकमात्र साधन था। रोज परिवार के सदस्य इस कार्य में जुटते थे। घरों के आस-पास अथवा शहर के किसी कुए से पानी निकलने की जानकारी मिलने पर लोग वहां पहुंचे और मिट्टी से बने घड़ों में पानी भरकर घरों तक लाते।
बैलों की जोड़ी से निकलता पानी
कुओंं की गहराई दो सौ से तीन सौ फुट तक होने के कारण पानी से भरी डोल को ऊपर तक लाने के लिए बैलों का उपयोग होता था। ओझा के अनुसार अलसुबह से ही कुओं पर पानी निकालने का काम शुरु हो जाता था। पानी पहले कोठो में भरा जाता। फिर खेळी में आता। यहां से लोग घड़ों में भरकर पानी लेकर जाते।
एक पैसा में एक घड़ा, बीस से तीस लीटर पानी
कुओं से घरों तक पानी पहुंचाना कई लोगों के लिए रोजगार का साधन भी था। ओझा के अनुसार कई लोग घड़ो से पानी पहुंचाने का काम भी करते थे। एक पैसा में एक घड़ा पानी घरों तक पहुंचाते। घड़ो में बीस से तीस लीटर तक पानी आता। लोग मंदिरों, पशुओं के लिए बनी कुंडियों में भी पानी डलवाते थे।
घड़ों के साथ नृत्य
घड़ों के माध्यम से पानी घरों तक पहुंचाने के दौरान कुओं पर हंसी-मजाक और मनोरंजन के दौर भी चलते रहते थे। ओझा बताते है कि उस समय कई लोग ऐसे थे जो घड़ों में पानी भरने के बाद घड़ों को कंधों पर रखने के बाद नृत्य भी करते थे। घड़ों के साथ होने वाले नृत्य को लोग बड़े चाव से देखते थे। कुओं पर रौनक रहती थी। लोग हर समय एकत्रित रहते थे।
पचास से अधिक कुए
शहर में पांच दर्जन से भी अधिक कुए होने बताए जा रहे है। इनमें कई कुए अपने मीठे पानी के लिए भी प्रसिद्ध रहे। कई कुए आज भी कायम है, जबकि कई विलुप्त हो चुके है। अलख सागर, चौतीना कुआ, चनण सागर कुआ, घेरुलाल व्यास कुआ, बेणीसर कुआ,जसवंत सागर कुआ,भुट्टों का कुआ, अमरसर कुआ, आनंद सागर कुआ, बांठिया कुआ,बल्लभ सागर कुआ,रघुनाथ सागर कुआ,जीतुजी का कुआ, करमीसर कुआ, रामसागर कुआ, मदनमोहन सागर कुआ, कोठारिया कुआ, मोहता कुआ, नया कुआ,लालेश्वर कुआ, डागा कुआ, बछावतों का कुआ, मोदियों का कुआ, जगमण कुआ, केशेराय कुआ, खारया कुआ, सागरिया कुआ, मुरली मनोहर कुआ,शालमनाथ कुआ, छोगजी का कुआ, जैलवेल कुआ, रतनसागर कुआ, नथानियों का कुआ, नवलसागर कुआ, राणीसर कुआ,फूलबाई कुआ, पंवारसर कुआ,केसरदेसर कुआ, बृजलाल व्यास कुआ, गौरेजी कुआ मेहताब सागर कुआ आदि है। संजय श्रीमाली ने अपनी पुस्तक जल धरातल से जमीन तक में शहर में िस्थत कुओं के निर्माण, निर्माण काल और कहा पर है का वर्णन किया है।