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बीकानेर

बीकानेर स्थापना दिवस : पीढ़ी दर पीढ़ी चल रहे पतंगों के विचित्र डिजाइन और नाम, देखें तस्वीरें

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6 years ago
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बीकानेर 'गली में चकमकड़ो', 'पाखल ले', 'चौपट आयग्यो' तथा 'भूतण सू बच' सरीखे संवाद शहर में हो रही पतंगबाजी के दौरान गूंज रहे है। पतंगबाजी के दौरान आकाश में लहराती इन पतंगों के साथ कटने या लूटने के दौरान पतंगों के स्थानीय नाम ही उनकी पहचान बने हुए है।

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हालांकि पतंगें जहां बनती है वहां चाहे उन पतंगों के नाम कुछ भी हो, लेकिन बीकानेर शहर में विभिन्न रंगों के कागज से बनी पतंगों के अपने नाम है। ये न केवल स्थानीय है बल्कि दशकों से ये नाम उन पतंगों की बनावट के चलते पहचान भी बने हुए है।

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दुकानदार से इन पतंगों को खरीदते समय, पेच लड़ाते समय, कटी पतंग को लूटते समय इन पतंगों के स्थानीय नाम से उनकी पहचान होती है।

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पतंगबाज बेटू महाराज ओझा बताते है कि पतंगों के स्थानीय नाम शहर में होने वाली पतंगबाजी में घुलमिल गए है। ये नाम एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंच रहे है।

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विशेष बनावट के कारण कुछ पतंगे अलग पहचान रखती है। इनके नाम भी अलग है। भूतण, कोयल, मूंगो, चकमकड़ो, देसल, छरी, मकड़ों, ग्लिासो, परों, पाखल, चौपट, डण्डल, टीकल, पटील, ओंधल, पटील, टीकल आदि प्रमुख है।

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